Book Title: Jainology Parichaya 03
Author(s): Nalini Joshi
Publisher: Sanmati Tirth Prakashan Pune

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Page 30
________________ ६) वयं महावीरं अच्चेमो । हम महावीर की अर्चना करते हैं। ७) सुगा पंजराओ उड्डेति । शुक (तोते) पिंजरे से उडते हैं । ८) तक्करा धणं चोरेंति । तस्कर (चोर) धन को चुराते हैं । ९) अहं अकारणं न किमवि दंडेमि । मैं किसे भी विनाकारण दण्डित नहीं करता हूँ १०) तुम्हे हिय मियं च आहारेह । तुम हितकर और मित आहार करते हो । ११) घरिणी अतिहिं निमंतेइ । गहिणी अतिथि को निमंत्रित करती है । १२) मल्लो पडिमल्लं पाडेइ । मल्ल प्रतिमल्ल को पाडता है । १३) जुज्झे वीरा परुप्परं मारेंति । युद्ध में वीर परस्परों को मारते हैं । १४) सो पडिक्कमणे अप्पाणं अवराह चिंतेड । वह प्रतिक्रमण में खुद के अपराधों का चिंतन करता है । भूतकाल (Past-Tense) जो क्रिया घटी हुई है, उसके लिए हम भूतकालिक क्रियापदों का उपयोग करते हैं । इत्था' और 'इंसु' ये भूतकालवाचक प्रत्यय जादा तर अर्धमागधी भाषा में ही पाये जाते हैं । सामान्य प्राकृत में भूतकालिक क्रियापदों के स्थान पर भूतकालिक विशेषण प्रयुक्त करते हैं । अनेकवचन पुरुष प्रथम पुरुष द्वितीय पुरुष तृतीय पुरुष भूतकाल के प्रत्यय एकवचन इत्था इत्था इत्था

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