Book Title: Jain Yug 1932
Author(s): Harilal N Mankad
Publisher: Jain Shwetambar Conference

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Page 167
________________ ता. १५-11-3२. - न युग १७ %3D --- - (अनुसंधान पृ. १६८ उपर से.) चार है जिसे जीवित समाज कभी सहन नहीं कर सकता। उतीय श्रेणी के पण्डे पहले और दुसरे प्रकार के पण्डों इसलिए शीघ्र प्रांतिक सभाओं और मेट आनन्दजी मिले हबे हैं, आपस में रिशतदरियाँ है वे उन्ही कल्याणजी तथा श्री जैन वेताम्बर कान्फरंस को इस की सहायता करते हैं इस लिये वह भी उन से जुदा और ध्यान देकर दरबार से इस फैसले को रद्द कराना नहीं समझे जा सकते। चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर अपने आधिकार की आप लोगों ने संक्षेप में सर्व वृतान्त जान लिया रक्षा के लिए आंदोलन करना चाहिए। है। इस अत्याचार का दुख आप के दिल ने अवश्य पाठकों से नम्र निवेदन है कि वह केसरिया दुःख माना होगा अत : जब तक कोई उचित निर्णय जी की यात्रा को जानेवाले अपने भाइयों को ऊपर न हो हमारी सम्मति है कि तब तक निम्न लिखित लिखित बातों का बोध करा देवें । बातों पर कार्य किया जावे । निवेदक१-कोइ यात्री श्री केसरिया जी में जाकर प्रक्षाल, गोपीचंद एडवोकेट दुध, पुजन, आदि किसी प्रकार की बोली न लेवे । प्रधान(क्योकि बोलियों की सबै रकम पन्डे लोगों के पास नेमदास बी० ए० मन्त्रीजाती है)। २-खाता भंडार में एक पैसा भी जमा न कराया श्री आत्मानन्द जन महासभा पंजाव अम्बाला शहर जावे यदि किसी यात्री ने कुछ देना ही हो तो वह श्रीन श्वेतासमन्युशन माई पुजा खाता या भात। खाता में दे सकता है। भंडार संस्थानी शिमारी समितिनी मे समा खाते में से ३५) सैकडा पण्डों के पास जाता है। त०१-११-१२ विधारना हिने पोरना स्टi. टा. ४ वागते ३-मन्दिरजी के किसी पुजारी, सेवक, चौकी- श्री नवे. 31-५२ सभा २भ ચંદ દલાલના પ્રમુખપણા હેઠળ મલી હતી. ગત સભાની दार, माली, दुध वाला, केशर रगडने वाला आदि को મિનીટ વંચાયા બાદ (૧) સંવત્ ૧૯૮૬ અને ૧૯૮૭ ના एक पाई न दे। उनकी मन्दिर जी से वेतन मिलता है। तिट वा हिसाण-सरवायां तय Mना दिसाय २० ४-वाहियात लेकर जो पण्डे आते हैं उनको कुछ ५२वामा भारत ते मनु२२॥भवा शे: RAMEIN Yक्षय न देवें न उनसे कोई काम ल न बहियात में अपना મહેતાએ દરખાસ્ત રજુ કરી હતી, જેને શેઠ મણીલાલ મોક મચંદ શાહને ટકે મળતાં તે સર્વાનુમતે પાસ રાખવામાં नाम दरज करवावें न हस्ताक्षर करें और ना ही उनसे આવ્યા હતા. અને વધુમાં કરાવવામાં આવ્યું હતું કે “ભવિरुमाल आदि लेवें। બમાં લેન મંજુર કરવા માટે મેનેજીંગ કમિટીની સંમતિ विशेष इन बातों पर भी ध्यान देना अति आवश्यक है। देश भने ते भन्या मारीतसरनु समान सेटरीमाये १-मूल गभारे में जो पेटी रखी हुई है उसमें લોન આપવી.” તથા અત્યાર અગાઉ અપાયેલી લેન માટે ચેકસ ઈલાજે મંત્રીએ લેવા (૨) શ્રી ચંપા બહેન સારાભાઈ से ३५) रु० सैकडा पंडों के पास जाता है। મેદીને પુષવર્ગની પરીક્ષાના ઇનામે. માટે રૂ. ૫૦૦) આપવા २-बाहर रंग मंडप में जो पेटी रखी हुई है સંબંધને તા૦ ૧૧-૧૦-૩૨ ને પત્ર રજુ થતાં નીચેને ઠરાવ पास यता (रा.) उसममे चांदीके सिक्कों के सिवाय मत्र पंडोंके पास "શ્રી ચંપા બહેન સારાભાઈ મોદીનો તા. ૧૧-૧૦-૩૨ जाता है। ને પત્ર રજુ થતાં તેમણે સંવત ૧૯૩૨ ના વર્ષની પુરૂષ વર્ગની ધાર્મિક પરીક્ષાઓના ઇનામે માટે રૂપીઆ પાંચસો ३-आती १) से कम जो कुछ भी हो पंडों આપવા જે ઇચ્છા દર્શાવી છે તેની આભાર સાથે નોંધ લે છે के पास जाता है। અને ઉકત પરીક્ષા “શેઠ સારાભાઇ મગનભાઈ મોદી केसरिया जी जानेवाले यात्रियों का यह प्रयत्न પુરૂષ વગ ધામિક હરીફાઈની પરીક્ષા” તરીકે बारावे ." हाना चाहिय कि उनका एक पम का दान पडा की शेवसापागाश्री रायरी , श्री जेब में न जावे। રતનચંદ તલકચંદ માસ્તર શ્રી મણીલાલ રિખવચંદ ઝવેરી, શ્રી સાકરચંદ મેતીલાલ મલજી, શ્રી ઝવેરચંદ રતનચંદ માસ્તपंडों के इस हस्ताक्षेप से हमारे पवित्र तीर्थ पर ने मान सम्पतरी मनु२ २१वामां भाव्या. (४) जो आपत्ति आई है उसे निवारण करना श्रीसंघ का સંવત્ ૧૯૮૮ ને હિસાબ તપાસવા શેઠ નત્તમ ભગવાનદાસ શાહની ઍનરરી આડિટર તરીકે નિમણુંક કરવામાં આવી कर्तव्य है। असलीयत न जान कर दरचार उदयपर ने (५) भागाभा सिम्पर भासभा वामां आवनारी पाभिः जो अनुचित फैसला किया है वही जैनों पर घोर अत्या-या प्रभु श्रीना भाभार भानी समा विसन 4 પરીક્ષાઓના પરીક્ષા નીકળવા મંત્રીને સોંપવામાં આવ્યું. ता.

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