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आशीर्वचन एवं शुभाशंसा
का विषय है।
संस्था का व्यवस्थापक मण्डल एवं प्रधानाचार्य सहित शिक्षक समाज इस हेतु साधुवाद का पात्र हैं। मैं संस्था की निरन्तर समृद्धि की कामना करता हूं।
-जयचन्दलाल रामपुरिया, पूर्व अध्यक्ष श्री जैन विद्यालय प्रबंध समिति, कलकत्ता
श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन सभा द्वारा संचालित श्री जैन विद्यालय में विद्यार्थी, अध्यापक एवं समाज के शिक्षा प्रेमी कर्णधार श्रावकों का ऐसा सुखद सुमेल है जिसने शिक्षा जगत में ज्योतिर्मय आदर्श प्रस्तुत किया है। हम संस्थान की सफलता में पुराने रिकार्ड टूटते देखेंगे, नये कीर्तिमान स्थापित होते देखेंगे। इसका श्रेय होगा विद्यार्थी, अध्यापकवृन्द एवं संस्था के समर्थ कार्यकर्ताओं को सभी के उज्ज्वल एवं यशस्वी भविष्य में मेरा पूर्ण विश्वास है। फिर भी ज्ञान साधना के पवित्र अनुष्ठान के प्रति सहज मंगल भाव से मेरा मानस भर जाता है। मेरी समग्र शुभाशंसा संस्थान की प्रगति के लिए अर्पित है।
— आचार्य महासती श्री चन्दनाजी महराज वीरायतन, राजगीर
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श्री जैन विद्यालय के साथ मेरा लगभग पांच दशक पुराना संबंध रहा है। मैं उसके स्वर्ण जयन्ती समारोह में सम्मिलित हुआ था। विद्यालय के छात्रों की योग्यता, उसके शिक्षकों का प्रेम भरा व्यवहार तथा वहां अनुशासन की मेरे मन पर गहरी छाप है। भारत के बहुत से विद्यालय मैने देखे हैं, लेकिन श्री जैन विद्यालय का उनमें निराला स्थान पाया है । विद्यालय की हीरक जयन्ती समारोहों के समापन में शामिल होने में मुझे बड़ी प्रसन्नता होगी। मैं आशा करता हूं कि ये समारोह विद्यालय की गरिमा को बढ़ाने में सहायक होंगे। उस मंगल अवसर के लिए मेरी शुभ कामनाएं स्वीकार करें। विद्यालय की उत्तरोत्तर उन्नति हो, यही मेरी से प्रार्थना है। यह जानकर और भी हर्ष हुआ कि आप उस प्रभु शुभ प्रसंग पर एक स्मारिका का प्रकाशन कर रहे हैं। उसके लिए भी मेरी शुभ कामनाएं प्रेषित हैं।
- यशपाल जैन, सस्ता साहित्य मण्डल, नई दिल्ली
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श्री जैन विद्यालय का यह हीरक जयन्ती वर्ष चल रहा है, यही सबसे बड़ी उपलब्धि है। इन वर्षों में इस विद्यालय ने कई ऐसे होनहार छात्र दिये हैं जो ज्ञान-विज्ञान के विशिष्ट क्षेत्रों में समाज एवं राष्ट्र की महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए अभिनन्दनीय बने हुए हैं।
जैन विद्यालय होने से यहां छात्रों को पोथी पढ़ाई में ही पारंगत नहीं किया जा रहा है अपितु सार्थक जीवन जीने की चारित्रिक कला की भी सांगोपांग शिक्षा-दीक्षा सुलभ कराई जाती है जो आदमी को पूरा आदमी, पूर्ण पुरुष बनाती है।
- डॉ. महेन्द्र भानावत, उदयपुर
यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई कि विद्यालय इस वर्ष हीरक जयन्ती स्मारिका प्रकाशित कर रहा है। हमारी इस आदर्श शिक्षण संस्था में विस्तार के साथ गुणात्मकता में भी वृद्धि हुई है, यह अतिरिक्त प्रसन्नता
श्री जैन विद्यालय अपनी पाठ दशकीय शैक्षणिक यात्रा की सम्पूर्ति के शुभ उपलक्ष में हीरक जयन्ती महानुष्ठान अनुष्ठित कर शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में अभूतपूर्व महायज्ञ सम्पन्न कर रहा है। इस शुभ सुकीर्ति का संकल्प ज्ञात कर अनिर्वचनीय प्रसन्नता हो रही है। तदर्थ सभा एवं समाज से जुड़े सभी व्यक्तियों को कोटिशः धन्यवाद ।
सभा तथा विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों में मेरा यथायोग्य सहयोग और सेवा में केवल अपना कर्त्तव्य पालन ही अभीष्ट रहा है और भविष्य में भी मेरी सेवा भावना सदा सक्रिय रहेगी। यह तो सभा की सिद्धि और सफलता है । " परोपकाराय सतां विभूतयः ।" सभा द्वारा संचालित यह लब्ध प्रतिष्ठ शिक्षण संस्थान समय और समाज की ही उपलब्धि है।
मैं तो भगवान जिनेन्द्र से सतत यही प्रार्थना करता हूं कि सभा और समाज का यह कीर्ति स्तम्भ, उत्तरोत्तर भविष्य में भी सर्वांगीण विकास और प्रगति से निर्मल विमल चन्द्रिका-सा शत सहस्त्र वर्षों तक आलोकित होता रहे। स्पष्ट है "सर्वेषामेव दानानां विद्या दानं विशिष्यते। "
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अनुष्ठित शुभ हीरक जयन्ती महानुष्ठान के शुभावसर पर सभी सिद्धि, उपलब्धि और पूर्णता की प्राप्ति हो, इन्हीं शुभ कामनाओं सहित"कीरति भनिति भूति भल सोई। सुरसरि सम सब कहं हित होई ॥"
-माणकचन्द रामपुरिया, कलकत्ता
करीब 60 वर्ष पूर्व पूज्य पिताजी स्वर्गीय कुछ कर्मठ कार्यकर्ताओं के पूर्ण सहयोग से गई थी।
जिसका मूल उद्देश्य समाज सेवा, धार्मिक कार्यकलाप व शिक्षा का प्रचार-प्रसार था। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए वर्तमान कार्यकर्त्ता तत्परता से कार्य कर रहे हैं। विद्यालय का परीक्षा फल भी प्राय: शत-प्रतिशत होता है। हवड़ा में भी बहुत ही जल्द अल्प समय में विद्यालय का भवन बनाकर विद्यालय चालू किया गया है। यह भी अपने आप में महान् उपलब्धि है। अब अपनी संस्था की तरफ से अस्पताल के भवन निर्माण के लिए जमीन खरीद कर निर्माण कार्य प्रारम्भ कर दिया गया
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सराजजी बच्छावत एवं यह संस्था स्थापित की
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