Book Title: Jain Siddhanta Sutra
Author(s): Kaushal
Publisher: Deshbhushanji Maharaj Trust

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Page 8
________________ प्रकाशकीय परमपूज्य आचार्यरत्न श्री देशभूषणजी महाराज की आध्यात्मिक ज्योत्स्ना के महातेज से अभिभूत होकर श्रावक समुदाय ने अनेक रचनात्मक कार्यों द्वारा श्रमण संस्कृति एवं सभ्यता के उन्नयन में श्रद्धापूर्वक योगदान दिया है । आचार्य श्री के पावन संस्पर्श से ही अविजित अयोध्या, वैभवमंडित जयपुर, साधनास्थली कोथली इत्यादि को नई शक्ति प्राप्त हुई है । आचार्य श्री के चरणयुगल वस्तुतः आस्था एवं निर्माण के स्मरणीय प्रतीक हैं। आपकी प्रेरणा एवं आज्ञा से ही अनेक मन्दिरों का निर्माण एवं जीर्णोद्धार हो सका है । वस्तुतः आचार्य श्री को बीसवीं शताब्दी में दिगम्बरत्व की जय-ध्वजा का प्रमुख पुरुष कहा जाता है। आपकी अद्वितीय मेधा एवं समर्पित जीवन के कारण ही अनेक दुर्लभ एवं लुप्त ग्रन्थों का सार्वजनिक प्रकाशन सम्भव हो गया है । आपके दर्शन मात्र से ही साधना एवं स्वाध्याय साकार रूप में परिलक्षित होने लगते हैं । साहित्य के क्षेत्र में आपके ठोस एवं रचनात्मक कार्यों की सर्वत्र स्तुति की गई है। __ आचार्य श्री की राजधानी पर विशेष अनुकम्पा रही है । अतः आपके महिमा मंडित आचारण एवं व्यवहार को स्थायी रूप देने के लिये ही दिगम्बर जैन समुदाय ने दिल्ली में 'श्री १०८ आचार्य रत्न देशभूषण जी महाराज ट्रस्ट' की स्थापना की है। ट्रस्ट अपने पावन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए निरन्तर प्रयत्नशील है । जिनागम के शाश्वत सत्यों को विश्वव्यापी बनाने के लिये न्यास के सभासदों ने आदर्श साध्वी, तपोमूर्ति, साधनारत ब्रह्मचारिणी कु० कौशल जी की स्वरचित कृति 'जैन सिद्धान्त सूत्र' के प्रकाशन का सहर्ष निर्णय लिया है। आशा है, उपरोक्त कृति जैन सिद्धान्त के जिज्ञासु महानुभावों के लिये प्रकाशस्तम्भ रूप में कार्य करती रहेगी। संस्था को सजीव एवं मूर्त रूप देने में, परम पूज्य उपाध्याय मुनि श्री विद्यानन्द जी का विशिष्ट योगदान रहा है । वास्तव में, आपके ही द्वारा ट्रस्ट की प्राण प्रतिष्ठा की गई है । आपकी सदय दृष्टि, सक्रिय रुचि एवं प्राणवान मन्त्रणा से ही ट्रस्ट 'केवली प्रणीत धर्म के प्रचार एवं प्रसार में संलग्न हो सका है। ___ आशा है, ट्रस्ट के प्रथम प्रकाशन को आप सबका सहज स्नेह प्राप्त हो सकेगा। सादर, सुमत प्रसाद जैन एम० ए. महामन्त्री वीर निर्वाण दिवस श्री १०८ आचार्यरत्न देशभूषण जी वीर निर्वाण सम्वत् २५०३ महाराज ट्रस्ट (पंजीकृत), विल्ली

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