Book Title: Jain Siddhanta Bol Sangraha Part 06 Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta, Bhairodan Sethiya Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner View full book textPage 4
________________ प्राभार प्रदर्शन इस भाग के निर्माण एवं प्रकाशन काल में दिवंगत परम प्रतापी जैनाचार्य पूज्य श्री जवाहरलालजी महाराज एवं वर्तमान पूज्य श्री गणेशीलालजी महाराज साहब अपने विद्वान् शिष्यों के साथ भीनासर एवं बीकानेर विराजते थे। समय समय पर पुस्तक का मेटर आप श्रीमानों को दिखाया गया है। आप श्रीमानों की अमूल्य सूचना एवं सम्मति से पुस्तक की प्रामाणिकता बहुत बढ़ गई है। इसलिये यह समिति आप श्रीमानों की चिरकृतज्ञ रहेगी। श्रीमान् मुनि बड़े चॉदमलजी महाराज साहेब, पण्डित मुनि श्री सिरेमलजी एवं जवरीमलजी महाराज साहेब ने भी पुस्तक के कतिपय विषय देखे हैं इसलिये यह समिति उक्त मुनियों के प्रति भी अपनी कृतज्ञता प्रकट करती है। इस पुस्तक के प्रारम्भिक कुछ बोल श्रीमान् पन्नालालजी महाराज साहेब को दिखाने के लिये रतलाम भेजे थे। वहाँ उक्त मुनि श्री एव श्रीमान् बालचन्दजी सा० ने उन्हें देख कर अमूल्य सूचनाएँ देने की कृपा की है अतः हम आपके भी पूर्ण आभारी हैं। निवेदक-पुस्तक प्रकाशन समिति (द्वितीयावृत्ति के सम्बन्ध में) शास्त्रमर्मज्ञ पडित मुनि श्री पन्नालालजी म. सा. ने इस भाग का दुबारा सूक्ष्मनिरीक्षण करके संशोधन योग्य स्थलों के लिये उचित परामर्श दिया है। अतः हम आपके आभारी हैं। __वयोवृद्ध मुनि श्री सुजानमलजी म. सा. के सुशिष्य पं० मुनिश्री लक्ष्मीचन्दजी म. सा ने इसकी प्रथमावृत्ति की छपी हुई पुस्तक का आदयोपान्त उपयोग पूर्वक अवलोकन करके कितनेक शंका स्थलों के लिये सुचना की थी। उनका यथास्थान संशोधन कर दिया गया है। अतः हम उक्त मुनि श्री के आभारी हैं। ___इसके सिवाय जिन २ सज्जनों ने आवश्यक संशोधन कराये और पुस्तक को उपयोगी बनाने के लिये समय समय पर अपनी शुभ सम्मतियों प्रदान की हैं उन सब का हम आभार मानते हैं। । । इसके अतिरिक्त इस ग्रन्थ के प्रणयन में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में मुझे जिन जिन विद्वानों की सम्मतियों और ग्रन्थ कर्ताओं की पुस्तकों से लाभ हुआ है उनके प्रति मैं विनम्न भाव से कृतज्ञ हूँ। ऊन प्रेस बीकानेर- . . निवेदक-भैरोदान सेठिया -Page Navigation
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