Book Title: Jain_Satyaprakash 1947 05
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir અંક ૮ | શખેશ્વર તીર્થ સમ્બન્ધી સાહિત્યકી વિશાલતા [ ૨૨૭ शंखेश्वर-स्तवन सूची आद्यपद गाथासंख्या कृतिनाम कर्ता रवनाकाल सदाविराजा सांमि संखेसरो हो ७ शंखेश्वरपार्श्वलघु स्तवन जिनहर्ष वाराणसी नगरी भली संखेसरो रे जगमें तीरथ जाणीयइ ३ समयसुंदर सकलाप पास संखेसरो परचा पूरे पृथ्वीतणा सेवो प्रभु सुखकारी ७ जिनलाभसूरि १८२६ माघ वद ३ अलवेसर मुज अरज सुणीजे ९ , चारित्रकीर्ति १७६७ पोष वद ९ श्री शंखेश्वर मण्डण पास जिणेसर १३ , सुमतिकल्लोल श्रीमद्गुर्जरमंडले मरुधरित्र्या ९-१ शंखेश्वरस्तोत्र विजयसौभाग्य निखिलनाकपवंदितपत्कजं श्रीसंगरंगमकराकरकेलिधारं जयसागर जनाध्येय वामेय कल्याणकारी सुजसकीर्ति सं.१६६६ आनंदपद्माकरचारुहसं गौडीग्रामे स्तंभने चारुतार्थे ५ शंखेश्वरस्तव सिरि संखेसर पास ३ , लघुस्तवन (प्र०) सरसति अति मीठी मुझनइ १४ , देवचंद (तपा) संखेश्वर संखपूरीय उ उमाहौ धरि आवीयउ हो ७ शंखेश्वरपार्श्वस्तव उदैचंद संखेश्वर सामी हूं तोरी बलहारी ५ दयातिलक भेटवो पास संखेश्वरो ज्ञानसागर भवियन सेवो रे पास संखेसरो ५ (क्षमालाभ शि.) अमर नरिंद तणी मिली कोंडी १३ वहम (१) संखेश्वर प्रभु तुझ धामे रे ५ , स्तोत्र कनकमूर्ति सकलगुणाकर जिनवर ८ समरचंद्र तुं तो साचो साहिब रे सखेसरा १२ , बृहत्स्तवन लक्ष्मीवल्लभ वितनुते तनुते तु नतेश्वर ५ , स्तव गुणविनय नगराज For Private And Personal Use Only

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