Book Title: Jain_Satyaprakash 1946 01
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवके कर्मबन्ध और मोक्षका अनादित्वं (लेखक:--पू. आचार्य महाराज श्री जिनहरिसागरसूरीश्वरजी) ... (गतांकसे पूर्ण) जीव, अजीव और उनका लक्षण जीव और अजीव-इन दोनो प्रकारके द्रव्योंका संयोग-वियोग हो संसार नामसे पुकारा जाता है । संयोग-वियोय भी सकारण ही हुआ करते हैं। जब तक कर्ता वैसे कारणोंका उपयोग करता रहेगा तब तक संयोग-वियोग रूप कार्य बनते ही रहेंगे । वैसे कारणोंका उपयोग बन्द होनेसे कार्य अपने आप बंद हो जायेंगे । न रहेगा बॉस न बजेगी बांसुरी। उस अवस्थाको मोक्षके नामसे पुकारा जाता है। .. ____जीव साधारण रूपसे चेतनावाला, कीका, करनेवाला, कर्मफलोका भोगनेवाला, और कर्मोका अंत करनेवाला होता है । जीव संख्याको दृष्टिसे अनंत व प्रतिशरीर भिन्न २ होते हैं । कर्मसंबद्ध जीव अनादि कालसे रूपी बना हुआ है । यदि कर्ममुक्त हो जाय तो वही अरूपी हो जाता है। कर्मों के बन्ध और मोक्षमें जीवको अनुकूल और प्रतिकूल १-काल, २ स्वभाव, ३ नियति, ४ पूर्वकृत कर्म व ५ पुरूर्ष ये पांच निमित्त कारण साधक और बाधक हुआ करते हैं। अजीव असाधारण रूपसे अचेतन होता है। अजीव रूपी अरूपी दोनों प्रकारका होता है। अजीवद्रव्यके १ धर्मास्तिकाय, २ अधर्मास्तिकाय, ३ आकाशास्तिकाय, ४ पुद्गलास्तिकाय व ५ काल ये पांच मुख्य भेद हैं। जीवको बन्धनकर्ता कर्म पुद्गलद्रव्यको रचना है। जीव और कर्म इन दोनोंका संयोग-संबंध अनादि कालसे प्रवाह रूपमें चला आ रहा है। इस प्रवाहक मूल कारण जीवका अपना अज्ञान-मिथ्यात्त्र, अविरति, कषाय और योग ही माने गये हैं। આમ ખિસકેલીના પર્યાયેનાં મૂળ તો કામ ચલાઉ સ્વરૂપમાં કે હું સૂચવી શકું છું, પણ ખિસકોલી મટે તે કઈ વજનદાર કલ્પના યે સુરતી. નથી. એટલે “ખાખરની ખિલેડી સાકરને સ્વાદ શું જાણે' એ કહેવત ઉપરથી, ખિસકેલીને ખાખર (સં. પલા) ના ઝાડ સાથે ગાઢ સંબંધ હશે એમ ભાસે છે એ સૂચવી વિરમું છું. गोपीपुर। सुरत. ता. २६-११-४५. २ मे बडी भुभ मारे श्यप डाय तो क्षुद्रकोल वा शम भूय. कोलने मई पाध्यम ४२ना आजानु मे प्राय येवो याय छे. क्षुद्रकोल भाट खुहकोल तुं पाय सभी४२५ शय छे. खिस्ने। अर्थ मj, स२५ मेवा याय छे. तो y गाने' મળતું આવતું અને આમથી તેમ દેડાદોડ કરતું પ્રાણુ તે ખિસકોલી એમ કહેવાય ? જે એમ માનવું યુક્તિયુક્ત હેય તે હિરોહૃજેવો કોઈ પાઈપ શબ્દ એને પૂર્વજ ગણાય. For Private And Personal Use Only

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