Book Title: Jain_Satyaprakash 1944 04
Author(s): Jaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
Publisher: Jaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवायुप्पमाणकुलयं संशोधक-पूज्य आचार्य महाराज श्रीविजययतीन्द्रसूरीजी मणुआण विंसोत्तरसयं, सयं सिंह-काग-गय-हंसा । कच्छ-मच्छ-मयरसहस्स, सयमा गिद्धपक्खीणं ॥१॥ चडलिय-सारस-सूअर-आई जीवाण पन्नासं । वग्घाणं चउवीसं, सट्ठी बग-कोंच-कुक्कडगं ॥२॥ सारंगाण तीसं, सुअ-मुणह-विलाड-चारसगं । भिग-जंबुग-चउवीसं, गो-महीसि-उंट-पणवीसं ॥३॥ गंडस्स वीसवरिसं, सोलस अज-गड्डरियाणं च । ससगं च चउदसगं, वासद्गं मुसगस्साऊ ॥ ४॥ सरड-गिह-गोह-कीडग, वरिसदुगं जुआ य कंसारी । मासतिंग च वीययपंखी, अहिआउं जिणेसरदिटुं ॥ ५ ॥ संवत् १७२९ आश्विनधवलपक्षे सरवडीग्रामे लि० जिनविनयमुनिना । -मनुष्य का १२० वर्ष का; सिंह, काक, हाथी, हंस आदि का १०० वर्ष का; मत्स्य, कच्छप, मकर आदि का १००० वर्ष का; गृद्वपक्षीका १०० वर्ष का; चिड़िया, सारस, सूकर आदिका ५० वर्ष का; व्याघ्र का २४ वर्ष का; बगुला, क्रौंच, कुकडा (मुर्गा) आदि का ६० वर्ष का; सारंग (मयूर) का ३० वर्ष का; तोता, कुत्ता, बिलाव आदि का १२ वर्ष का; हिरण, श्रृगाल आदि का २४ वर्ष का; गो, भैंस, ऊंट आदि का २५ वर्ष का; गैंडा का २० वर्ष का; बकरा, भेड़ आदि का १६ वर्ष का; शशक (सुसलिया) का १४ वर्ष का; उन्दर का २ वर्ष का, गिरगट, गृहगोवा (छिपकली), मकोडा आदि का २ वर्ष का; जवा, कंसारी और विततपंखी आदि का ३ मास का अधिक से अधिक आयुष्य जिनेश्वरोंने देखा हैज्ञानदृष्टि से कहा है। For Private And Personal Use Only

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