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આંધની-ટ્રક
અક ૪
- [ १५८ ] सत्कयोग्यं । अपरं श्री पू श्री पूज्यजीइं तुम्हनई श्री पाडलीपुर नगर मध्ये अथवा अमुक पुरा मध्ये तथा अमुक ग्राम मध्ये थानवास रहिवानी आज्ञा प्रसाद कीधी छइ ते माटई तुम्हे श्री पाटलीपुरका संघनई तथा चउमासी गीतार्थनइ तथा पाटीयाना गीतार्थनई शाता उपजई तिम प्रवर्त्तकं जउ तिम नहीं प्रवर्त्ता तर तुम्हनइ आकरी रीस करवी थाल्या ते प्रीछयो संवत् १७२४ वर्षे आश्विन शुद्ध १० भौमदिने इति मंगलम् |
( ४ )
गच्छसंबंध टालवानी पत्रीनो पाठ --
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शिरनामूं - समस्त साधुसाध्वी समवाय योग्यं ।
ए ८०॥ ॐ नत्वा भ० श्री विजयदेवसूरीश्वरगुरुभ्यो नमः | श्री विजयप्रभसूरिभिलिख्यते । समस्त साधु साध्वी श्रावक श्राविका संघ समवाय योग्यं । अपरं पं० अमुक गणि ऋ० देवदत्त ० यज्ञदत्त प्रमुख संघाडा साथ अम्हो गच्छ संबंध टाल्यो छइ ते मात्रै एहो संघातिं कुणहि आलाप संलाप आहार व्यवहार न करवो. अनिं जे कोई एही संघात आलाप संलाप आहार व्यवहार करस्यइ तेहनई आकरो टबको आवस्यइ | ए समाचार सर्वत्र परस्परइ जणावयो संवत् १७१९ वर्षे वैशाख वदि १० शनि दिने ।
( ५ )
गच्छसंबंध करवानी पत्रीनो पाठ --
ॐ नत्वा
शिरनामुं - समस्तसाधुसाध्वी संघ समवाययोग्यम् । ए ८० ॥ भ० श्रीविजयदेवसूरीश्वर गुरुभ्यो नमः । श्रीराजनगरतः श्रीविजयप्रभसूरीश्वरचरणसेवी हेमविजयलिखितं समस्तसाधुसाध्वी श्रावक श्राविका संघसमवाययोग्गं । अपरं श्री पूज्यजीई कृपा करीनई पं० अमुक ग० ऋ० देवदत्त ऋ० यज्ञदत्त प्रमुख संघाडा साथई गच्छसंबंध कीधो छइ ते माटै एहोनई उपाश्रयमध्ये उतरतां कुणहिं ना न कहिवी. नाम लेई श्रीदेवयात्रा करवी संवत् १७२४ वर्षे आश्विनसुदि १० दिने मंगलमिति ।
प्राचीन समय की बनी हुई तोर्थमालाओं, रासाओं, भासों और बालावबोधमय - कथानकों एवं जैनपट्टावलियों में प्राचीन गांव नगरों के नाम आते हैं, उनका भी इस पट्टक से पता लग सकता है । इसलिये यह पट्टक इतिहासलेखकों के लिये भी बड़े काम का है । ज्ञानभंडारों में विविध प्रकार के पट्टक दिखाई पड़ते हैं, यदि वे समय समय पर प्रकाशित हो जायँ और विद्वान् मुनिवर उनको उपलब्ध होते ही सपरिश्रम प्रकाशित कर दिया करें तो इतिहासलेखकको भारी सहुलियत मिल सकेगी । शमिति । ( समाप्त )
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