Book Title: Jain Sahitya me Kshetra Ganit
Author(s): Mukutbiharilal Agarwal
Publisher: Z_Anandrushi_Abhinandan_Granth_012013.pdf

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Page 3
________________ 2.M OVIE wwwwwwwwwwmarvavramanantimom - ४२४ धर्म और दर्शन CREEN MAR वृत्त चित्र १२ परिमण्डल चित्र १३ UPA त्रिभुज, चतुर्भुज, आयत, वृत्त और दीर्घवृत्त (Ellipse) । इन आकृतियों के लिये उन ग्रन्थों में क्रमशः ये नाम लिखते हैं :-त्रिस्र, चतुस्र, आयत, वृत्त तथा परिमण्डल । इन क्षेत्रों के प्रतर और धन-ये दो भेद बताकर 'अनुयोगद्वारसूत्र' में बड़ी सूक्ष्म चर्चा की है । घनत्रियस्र, धनचतुस्र, धनायत, घनवृत्त तथा घनपरिमण्डल का आशय क्रमशः त्रिभुजाकार सुचीस्तम्भ, घन, आयताकार ठोस, गोला और दीर्घवृत्ताकार बेलन से है। इनकी आकृतियां इस प्रकार हैं RE COM घनायत घनत्रियस्र चित्र १४ घनचतुस्र चित्र १५ चित्र १६ घनपरिमण्डल घनवृत्त चित्र १७ चित्र १८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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