Book Title: Jain Sahitya me Kshetra Ganit
Author(s): Mukutbiharilal Agarwal
Publisher: Z_Anandrushi_Abhinandan_Granth_012013.pdf

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Page 14
________________ जैन साहित्य में क्षेत्र-गणित उपरोक्त नियम इस मान्यता पर आधारित हैं कि प्रत्येक सीमावर्ती वक्र रेखा उन सरल रेखाओं के योग के बराबर है जो वकों के सिरों (छोरों अथवा अन्तों) को मध्य बिन्द्र के मिलाने से प्राप्त होती है। मृदंगाकार, पणवाकार और बज्राकार आकृतियों के सूक्ष्म क्षेत्रफल "महत्तम लम्बाई को मुख की चौड़ाई द्वारा गुणित करने पर जो प्राप्त हो ऐसे परिणामी क्षेत्रफल में सम्बन्धित धनुषाकृतियों के क्षेत्रफलों के मान को जोड़ने पर योग मृदंग के आकार की आकृति के क्षेत्रफल का माप होता है।" ७५ “पणव और वज्र की आकृति के क्षेत्रफल प्राप्त करने के लिये महत्तम लम्बाई और मुख की चौड़ाई के गुणनफल से प्राप्त क्षेत्रफल में धनुषाकृति के क्षेत्रफल को घटा देते हैं।" उभयनिषेध एवं एकनिषेध क्षेत्र का क्षेत्रफल किसी चतुर्भुज को उसके दोनों विकर्णों द्वारा चार त्रिभूजों में बाँट देने पर और फिर दो सम्मुख भुजाओं को हटाने पर प्राप्त आकृति उभयनिषेध क्षेत्र कहलाती है। यदि केवल एक त्रिभुज हटाया जाय तो प्राप्त आकृति एक निषेधक्षेत्र कहलाती है। यदि उभयनिषेध की लम्बाई । और चौड़ाई b है तो क्षेत्रफल=lb-11b एक निषेध आकृति का क्षेत्रफल=b-11b. बहुविधवज्र आकार का सन्निकट क्षेत्रफल७७ यदि भुजाओं की मापों के योग की आधीराशि ऽ हो और भुजाओं की संख्या n हो तो क्षेत्रफल = x", होता है। यह सूत्र त्रिभुज, चतुर्भुज, षट्भुज और वृत्त को अनन्त भुजाओं की आकृति मानकर उनके सम्बन्ध में व्यावहारिक क्षेत्रफल का मान देता है। नियमित षट्भुज के कर्ण, लम्ब और क्षेत्रफल के सूक्ष्म मान ८ कर्ण --- 2a लम्ब= V3a और क्षेत्रफल= 13 a जहाँ a षट्भुज की एक भुजा है। संस्पर्शीवृत्तों द्वारा समिति क्षेत्र का क्षेत्रफल __ यदि अर्द्ध परिमिति S और भुजाओं की संख्या n हो, तो वृत्तों द्वारा सीमित क्षेत्र का क्षेत्रफल= Exn-1 ) होता है। इसका स्पष्टीकरण निम्न उदाहरणों द्वारा है। _ n st . उदाहरणार्थ प्रश्न 1-चार समानवृत्त जिनमें से प्रत्येक का व्यास 9 है एक दूसरे को स्पर्श करते हैं। बतलाओ उनसे धिरे हुए क्षेत्र का क्षेत्रफल क्या है। हल-इस प्रश्न में (चित्र ४६ के अनुसार) चारों वृत्तों का व्यास स्पर्श बिन्दुओं में से गुजारने पर चतुर्भुज बन जाता है । इस चतुर्भुज की परिमिति 4x9=36 हुई और भुजाओं की संख्या 4 है। anamaANMARKAJALALAAINAJARAJAJANMARATHI MANANGIJNAAMANAJPARIAAINAMASALA आचार्गप्रशासनाचार्यप्रवर भिक श्रीआनन्दा श्राआनन्दा अन्य mew Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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