Book Title: Jain Sahitya me Kshetra Ganit
Author(s): Mukutbiharilal Agarwal
Publisher: Z_Anandrushi_Abhinandan_Granth_012013.pdf

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Page 12
________________ जैन साहित्य में क्षेत्र-गणित ४३३ वृत्ति को सन्निकट परिधि =3a ./a और वृत्त का सन्निकट क्षेत्रफल=3 -1 =3re S जब कि a/2 =r==वृत्त की त्रिज्या (AN अर्बुवृत्त की सन्निकट परिधि= और अर्द्ध'वृत्त का क्षेत्रफल = GST वृत्त का सूक्ष्म क्षेत्रफल -इसमें 7 का मान V10 लिया गया है। परिधि का सूक्ष्म मान=v10X व्यास वृत्त का क्षेत्रफल–परिधि व्यास _1/परिधि व्यास और अर्द्धवृत्त का क्षेत्रफल= 24 आयतवृत्त (Ellipse) का क्षेत्रफल-यदि आयतवत की बड़ी और छोटी अक्षि (Semi axes) क्रमशः a और b हों तो आयतवृत्त का सन्निकट क्षेत्रफल १=2X (2a+b)xb/2 =2ab+b' आयतवृत्त की सूक्ष्म परिधि६२ =/6b+4a2 और आयतवृत्त का सूक्ष्म क्षेत्रफल =1 bxv6b+4 शंखाकार आकृति का क्षेत्रफल-आचार्य महावीर द्वारा उल्लेखित शंखाकार आकृति, तिलोयपण्णति में वणित शंखाकार आकृति से भिन्न है । यदि शंखाकार आकृति का व्यास a और मुख की माप m हो तो परिमिति की सन्निकट माप६४ =31 3 / m और सन्निकट क्षेत्रफल ६५ = [(a-m)]x+ () शंखाकार आकृति की सूक्ष्म परिमिति | 10 तथा सूक्ष्म क्षेत्रफल १० =[{ (e-m) } } +(M)]/10 निम्नावृत्त और उन्नतावृत्त के तलों का क्षेत्र८-यदि p छेदीयवृत्त (किनार) की परिधि और b व्यास हो तो क्षेत्रफल क्षेत्रफल = Pxb MAJanuALIuadrinaARAJJARASADARAJaanweadmaavarARSANILIAAIN SARASTRARANAGORAINMainiromanias HIm HIROINIयात्र ONAL 4AL 604 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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