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जैन साहित्य में क्षेत्र-गणित
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वृत्ति को सन्निकट परिधि
=3a
./a और वृत्त का सन्निकट क्षेत्रफल=3
-1
=3re
S
जब कि a/2 =r==वृत्त की त्रिज्या
(AN
अर्बुवृत्त की सन्निकट परिधि= और अर्द्ध'वृत्त का क्षेत्रफल =
GST
वृत्त का सूक्ष्म क्षेत्रफल -इसमें 7 का मान V10 लिया गया है। परिधि का सूक्ष्म मान=v10X व्यास
वृत्त का क्षेत्रफल–परिधि व्यास
_1/परिधि व्यास और अर्द्धवृत्त का क्षेत्रफल=
24 आयतवृत्त (Ellipse) का क्षेत्रफल-यदि आयतवत की बड़ी और छोटी अक्षि (Semi axes) क्रमशः a और b हों तो आयतवृत्त का सन्निकट क्षेत्रफल १=2X (2a+b)xb/2
=2ab+b' आयतवृत्त की सूक्ष्म परिधि६२ =/6b+4a2 और आयतवृत्त का सूक्ष्म क्षेत्रफल =1 bxv6b+4
शंखाकार आकृति का क्षेत्रफल-आचार्य महावीर द्वारा उल्लेखित शंखाकार आकृति, तिलोयपण्णति में वणित शंखाकार आकृति से भिन्न है । यदि शंखाकार आकृति का व्यास a और मुख की माप m हो तो
परिमिति की सन्निकट माप६४ =31
3
/
m
और सन्निकट क्षेत्रफल ६५
= [(a-m)]x+ ()
शंखाकार आकृति की सूक्ष्म परिमिति
|
10
तथा सूक्ष्म क्षेत्रफल १०
=[{ (e-m) } } +(M)]/10
निम्नावृत्त और उन्नतावृत्त के तलों का क्षेत्र८-यदि p छेदीयवृत्त (किनार) की परिधि और b व्यास हो तो
क्षेत्रफल क्षेत्रफल = Pxb
MAJanuALIuadrinaARAJJARASADARAJaanweadmaavarARSANILIAAIN
SARASTRARANAGORAINMainiromanias HIm
HIROINIयात्र
ONAL
4AL
604
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