Book Title: Jain Sahitya me Kshetra Ganit Author(s): Mukutbiharilal Agarwal Publisher: Z_Anandrushi_Abhinandan_Granth_012013.pdf View full book textPage 7
________________ AANKala....... आचार्यप्रवaal श्रीआनन्दग्रन्थ श्रीआनन्दकन्थ amwww.nawamerammm ४२८ धर्म और दर्शन बाह १ क्षेत्रों की नापने की इकाईयाँ 'अनुयोगद्वारसूत्र' में नापने की तीन इकाईयों का उल्लेख किया गया है-सूच्यांगृल, प्रतरांगुल और घनांगुल । ये तीनों क्रमशः लम्बाई, क्षेत्रफल और आयतन नापने की इकाईयाँ हैं । वृत्तगणित सम्बन्धी शब्द 'तत्वार्थाधिगमसूत्र भाष्य' में वृत्त गणित सम्बन्धी शब्दों का उल्लेख मिलता है । यथा-वृत्त परिक्षेप (परिधि), ज्या (जीवा), विषकम्भ (व्यास), इषु (वाण), धनुषकाष्ठ'० (चा तथा विषकम्मा १२ (अर्द्धव्यास) । वृत्तगणित के सूत्र 'तत्वार्थाधिगमसूत्रभाष्य' में निम्नलिखित छः सूत्र उपलब्ध हैं। 1 वृत्त की परिधि =V10 व्यास 2. वृत्त का क्षेत्रफल = परिधि X व्यास 3. जीवा =V4 वाण (व्यास-वाण) 4. वाण = (व्यास-Vव्यास-जीवा') 5. धनुष =16 वाण+जीवा ___ (वाण+1 जीवा') 6. व्यास वाण 'तिलोयपण्णति' में धनुष, जीवा, वाण, पार्श्वभुजा आदि के प्रमाण निकालने के लिये निम्नलिखित सूत्र मिलते हैं परिधि१४ =V10xव्यास' धनुष'५ = 2 (व्यास+वाण):- (व्यास) र व्यास व्यास जीवा 71 वाण' = -144] 2 धनुष, वाण और जीवा में निम्नलिखित सम्बन्ध हैं-१७ (धनुष) =6 (वाण) + (जीवा)' నల पाश्वं रेखा जीवा. बाण । धनुष चित्र ४७ चित्र ४८ जीवा व्यास जीवा = (व्यास)-(व्यास-वाण) 'व्यास -वाण 2 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19