Book Title: Jain Sahitya ma Gujarat Author(s): Bhogilal J Sandesara Publisher: Gujarat Vidyasabha View full book textPage 7
________________ एक स्थळनां अने एक ज व्यक्तिनां जुदां जुदां नामोने एक स्थाने समाववान, अने एक ज नाम धरावतां जुदां जुदां स्थळो अने व्यक्ति ओने अलग अलग पाडवानुं इत्यादि काम घणो धीरज चीवट अने झीणवट मागी ले छे. आ दरेकने अवतरण प्रमाणोथी पुष्ट करी प्रत्येक विगतने एना प्राप्य प्रामाणिक स्वरूपमा नोंधवानुं विपुल-श्रमसाध्य कार्य प्रो. डॉ. भोगीलाल सांडेसराए साध्युं छे. आम करती वेळाए भिन्न भिन्न विद्वानोए रजू करेला मतो अने प्रमाणोनी विवेचनपूर्वक समालोचना करी शक्य होय त्यां पोतानो मत आ विद्वान संशोधके प्रमाणपुरःसर रजू को छे. आ कीमती ग्रन्थ पूनमचंद क. कोटावाळा ट्रस्टनी सहायथी प्रसिद्ध थाय छे, तेथी अहीं एनी सविशेष साभार नोंध घटे छे ता. १-'.-'५२ ) रसिकलाल छो. रीख अध्यक्ष, भो. जे. विद्याभवन, गुजरात विद्यासभा भद्र, अमदावाद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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