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हिन्दुस्तान माटे 'हिन्दुग देश एवं नाम ई. स. ना सातमा शतक आसपासनी 'निशीथ सूत्र 'नी चूर्णिमां मळे छे (पृ. २१८ ). अत्रत्य साहित्यमां आ नामना आटला प्राचीन उल्लेखो विरल छे. गृहस्थ रहेता होय एवां मकानोमा साधुओ रहे ए वस्तु कच्छ दोषरूप गणाती नहोती (पृ. ३२ ) ए बतावे छे के साधुओने रहेवा योग्य मकानो - उपाश्रयोनो त्यां अभाव हशे . मरु देशमां खनिज तेल होवानी निर्देश (पृ. १२६ ) ठेठ भाग्य जेटलो जूनो होई खूब अगव्य धरावे छे. '
पालि साहित्यमा निर्दिष्ट अरिष्टपुर उपरांत महाराष्ट्रमां बोजुं एक अरिष्टपुर हतुं (पृ. ५). अर्कस्थली अने कालनगर ए वे आनंदपुरनां पर्याय नामो हतां (१. १४, १९). आनंदपुर कोई काळे सूर्यपूजानुं केन्द्र हशे एवो तर्क करवाने 'अर्कस्थली' ए नाम प्रेरे छे. आनंदपुर नामे बीजुं एक नगर विन्ध्याटवी पासे हतुं (पृ. १९). ते उत्तर गुजरातना आनंदपुर- वडनगरथी भिन्न होतुं जोईए. शूरसेन जनपदना पाटनगर मथुरानुं बीजुं नाम इन्द्रपुर हतुं (पृ. २३), जो के मथुराथी भिन्न एवं इन्द्रपुर नामनुं अन्य नगर पण हतुं (पृ. २४ ). उत्तर मथुरा ने दक्षिण मथुरानो पृथक् निर्देश छे (पृ. १२२, १९२). उत्तर मथुरा ते शूरसेन जनपदनी अने दक्षिण मथुरा ते मदुरा. क्षेमपुरी ए सौराष्ट्रनुं नगर छे (पृ. ५८), पण ए क्युं ते नक्की थई शक्युं नथी. पादलिप्तपुर ( पालीताणा ) नी स्थापना ' तरंगवती' कथाना कर्ता आचार्य पादलितना स्मरणार्थे थई होवानी अनुश्रुति छे (पृ. ९९ ). श्रीकृष्णाना चरित्रवर्णन साथै संबंध धरावतुं शंखपुर ए उत्तर गुजरातनुं शंखेश्वर संभवे छे (पृ. १७३-७४) सूत्रकृतांग सूत्र 'नो शीलांक
१ ए तरफ केन्द्रीय सरकारना ' जियोलोजिकल सर्व्हे 'नुं ध्यान वामां आव्युं छे अने ए खाताए आ माहितीनो साभार स्वीकार कर्यों छे ए नोंधवु अप्रस्तुत नहि गणाय,
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