Book Title: Jain Sahitya Sanshodhak Part 2
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
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२,३३(१५८०).
जैन साहित्य संशोधक [ नीलविज्ञानं मे उत्पन्नमार्यात् ] सरखावो-सर्वदर्शनसंग्रह पृ.
१९,७-१० (एक एव हि भूतात्मा भूते भूते प्रतिष्ठितः । एकधा बहुधा चैव दृश्यते जलचन्द्रवत् ।।१०
-ब्रह्मविन्दु-उपनिषत् १२. यशस्तिलक चम्यू, आश्वास ६, कल्प 1. (पृ.२७३ निर्णयसागर) .
यथाविशुद्धमाकाशं तिमिरोपप्लुतो जनः । सङ्कीर्णमिव मात्राभिभिन्नाभिरभिमन्यते ।। तथेदममलं ब्रह्म निर्विकल्पमविद्यया । कलुपत्वसिवापन्नं भेदरूपं प्रकाशते ॥ "ऊर्ध्वसूलमधःशाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययस् । छन्दांसि यस्य पनि यस्तं वेद स वेदवित् ।। -भगवद्गीता१५-१; (महाभारत ६-1३८३.) पुरुप एवेदं निं सर्व यद् भूतं यच्च भाव्यं ।' उतामृतत्वस्येशानो यदन्ननातिरोहति ॥ -वाजसनेयी संहिता ३१, २. श्वेताश्वतरोपनिषद् !-१५.
१९९१
अकर्ता निर्गुणो भोक्ता आत्मा सांस्यनिदर्शने । स्याद्वादमद्धरी, श्लोक १५ मां महिषेण भाखो लोक आ प्रमाणे आपे है:
असूर्तश्चेतनो भोगी नित्यः सर्वगतोऽक्रियः। .
अकर्ता निर्गुणः सूक्ष्म आत्मा कापिलदर्शने ॥ (बनारस, यशोविजय जैन अन्यमाला, पृ. ११३ पड्दर्शनसनुचयनो टीकामां गुणरत्न पण आश्लोक उदत करे हे. (जुओ कलकत्ता आवृत्ति, पृ. १०५) वळी सरखावो-पड्दर्शनसमुच्चय, मूळ श्लोक ४..
१. ब्रह्मविन्दूपनिषद् ( आनन्दावन मुद्रित, पृ. ३३८) मां चीजो पाद 'भूते भूते व्यवस्थितः' आ प्रमाणे है, भने यशस्तिलक चन्यू (निर्णयसागर-भुद्रित, पृ. २७३-उत्तर भाग ) मां बीजा सने श्रीजा पादनो पाठ-'देहे देहे व्यवस्थितः । एकवानक्या चापि मा प्रमाणे है. वळी, शीलांकाचायनी आचारांगसूत्र टीका (आगमोदय समिति मुद्रित, पृ.१८) अने सूत्रकृतांन सत्र टीका (आ.स.नु. पृ.१९)मां पण आ लाक रडत छे.
११. उपनिषद्मा 'भव्यं' पाठ उपलब्ध थाय हे.
* प्रो. ल्यूमन आ शब्द उपर एक नाचे प्रमाणेनी खास नोंघ करे है: “केटलाक प्रसिद्ध उपनिषदोनायी जैन विद्वानोए लीवेलां आ अवतरणो संकाओ सुधी बहु ध्यान खेचाया बगर ज लखाता आवतां हतां अने तेयो जनोए करेली तेमनी नोंधनां स्वभाविकराते न केटलीक मुलो थएली छे. उदाहरण तरीक२१ मार्नु निं तया ७२र्नु अवतरण."-आमांना प्रथम नि शब्द रूपरनी नोटमा ते लखे हे के-" वर्तमाना वैदिक वाङ्मयना हस्तलिखित प्रन्योमा अनुस्वार भाटे जे चिन्ह वपराय ठे, ते ८ मा सैका अगर तेनी पहेलां ग्नि अक्षर जे देखतुं हशे अने तेथी वैदिक चिन्हयीअजाण एवान ग्रन्यकारोए तेने एक खास शब्द मानी लीवलो लागे है. भने तेयी तमगे पुल्य एवंदं सर्व'एमसल वाक्यमा निशब्द वधारी 'इदना 'द उपर बीजो अनुस्वार बढावा दीवी होय एन जणाय है."-प्रो. ल्युमन्नी मा नॉव अमने जरा विचारणीय लागे हे. लिपिमेदना ज्ञानना अमावे एवी भूलो थवी जो के घणी संभावित मात्रज नयी पण सुज्ञात है. दाखला तरीके जैन लिपिमा 'मा' भक्षरने

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