Book Title: Jain Sahitya Sanshodhak Khand 01 Ank 01 to 02
Author(s): Jinvijay
Publisher: Jain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna

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Page 227
________________ डॉ. हर्मन जेकोबीनी जैन सूत्रोनी प्रस्तावना अंक २] अने तेओ तेमना पछी युगप्रधान बन्या हता. महावीर बुद्धना समकालीन हता, अने तेथी, बिम्बिसार, तेना अभयकुमार ने अजातशत्रुनामे बे पुत्रो, लिच्छविओ अने मल्लो, तथा मक्खलिपुत्र गोसा ल आदि; ते बन्नेना समकालीन पुरुषो पण एकज हता. कारण के आ नामो बन्ने धर्मनां पुस्तकोमां आपणने मळी आवे छे. आपणे उपर जे ऊहापोह करी गया छीए ते उपरथी सिद्ध थयुं छे के वैशा मां महावीरना अनुयायिओ घणीज मोटी संख्यामा रहेता हता, तेवा उल्लेख बौद्ध पिटकोमांथी, मळी आवे छे. आ बाजु जैनप्रथोमांथी पण एवां प्राणी आवे छे के महावीरनुं जन्म स्थान वैशा· समीप हतुं तथा ते राजधानीना मुख्य अधिष्ठाता साथे तेमनो खास संबंध हतो. आ बन्ने हकीकतने परस्पर मेळवतां ते एक बीजी साथे सुसंगत थई रहे छे एम स्पष्ट जणाई आवे छे. आ उपरांत बौद्धोए जणावेला निगण्ठोना केटलाक सिद्धान्तो दाखला तरीके किरियावाद अने पाणीमां जीव होवानी मान्यता विगेरे - जैनग्रंथोमां पण तेवाज रूपमा मळी आवे छे अने अंते, नातपुतना निर्वाणना स्थळ तरीके, बौद्ध ग्रंथोमां जणावेली पापापुरी पण जैन ग्रंथांना उल्लेखानुसार यथार्थ ठरे छे. महावीरना जीवननी आ रूपरेखाने बुद्धना जीवननी रूपरेखा साथै सरखावतां, एमां एक पण एवी बाबत नथी जणाई आवती के जेना विषयमा एव शंका उत्पन्न थई शके के ए बाबत बुद्धना अनुकरण रूपे पाछळथी उपजावी काढवामां आवी हशे. आम होवा छतां पण आ बन्ने महापुरुषाना जीवनमां जे केटलंक साधारण सादृश्य जोवामां आवे छे तेनुं कारण तो बन्नेनुं त्यागी जीवन छे. एवां जीवनमा केटलीक साधारण समानताओ मळी आवे ते घणुंज स्वाभाविक छे अने आवी समानता एक प्राचीन हिंदु करतां अर्वाचीन युरोपीय इतिहासवेत्ताने घणी महत्त्ववाळी बाबत भासे तेमां पण आश्चर्य पामवा जेवुं नथी. महावीरनां केटलाक सगांनां नामो पण बुद्धना सगांनां नामो साथ समानता धरावे छे. उदाहरण तरीके - महावीरनी ७५ पत्नीनुं नाम यशोदा हतुं अने बुद्धनी पत्नीनुं नाम यशोधरा हतुं. आ बन्ने नामो लगभग सरखां ज छे. महावीरना मोटाभाईनुं नाम नन्दिवर्धन हतुं अने बुद्धना ओरमान भाईनुं नाम नन्द हतं. बुद्धनुं कुमारावस्थानं नाम सिद्धार्थ हतुं अने महावीरना पितानुं नाम पण तेज हतुं. परंतु आ जातना नामसादृश्यथी जो कोई पण बाबत सिद्ध थती होय तो ते एटलीज छे के क्षत्रिय जातिमां जेम हमेशां वपराय छे तेम ते वखते पण आवा प्रकारनां नामो मोटा प्रमाणमां वपरातां हशे वळी बीजी पण एक बाबत छे के आ बन्ने क्षत्रियोए पांताना संप्रदायो ब्राह्मण सत्ताना विरोधी रूपे अथ - वा तेना तिरस्काररूपे जो स्थाप्या होय तो तमां पण कांई असंभव जेवुं नथी. कारण के हुं आगळ उपर जणावीश ते प्रमाणे ब्राह्मणो जेमने 'वेषधा रिओ ' ( untrue ) कहे तेवा त्यागी थवानो क्षत्रियो माये घणो वधारे संभव हतो.. बुद्ध अने महावीरना जीवननो भेद बताववा माटे हवे आपणे, ते बन्ने पुरुषोना जीवननी मुख्य मुख्य बीनाओने साथे साथे मूकी विचार करीए. बुद्धनो जन्म कपिलवस्तुमां थयो हतो अने महावीर वैशालीनी पासे आवेला एक गाममां जन्म्या हता. ज्यारे बुद्धनी माता तेमना जन्म पछी तरतज मरण पामी हती त्यारे महावीरना मातापिता महावीरनी पुख्त उमर थतां सुधी विद्यमान हतां. बुद्ध पोताना पितानी हयातीमा अने तेमनी मरजी विरुद्ध त्यगी बन्या हता, परंतु महावीरे पोताना मातापितानुं लई दीक्षा स्वीकारी हती. बुद्धे छ वर्ष सुधी तपमरण थया पछी पण अधिकारी पुरुषोनी संमति चर्या करी हती अने महावीरे बार वर्ष लगी करी हती. बुद्धे तपश्चर्यामां वीतेला पोताना कालने पाछळथी वृथा ( फोगट ) गएलो मान्यो हतो; तथा पोताना ध्येयनी प्राप्तिमां आवी जातनी तपश्चर्यानी कोई उपयोगिता नथी, एम पण जाहेर कर्यु हतुं. परंतु महावीरे पोतानी तपश्चर्याने ध्येयप्राप्तिमाटे अत्यावश्यक मानी हती, एटलुंज नहीं परंतु तीर्थ १. See Petersburg Dictionary, ss, vv. २. तपश्चर्यामां गळालां आ बार वर्षो, हमेशां सिद्धत्व Aho! Shrutgyanam

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