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वन्दना
रचयिता - स्व० कवि भगवत् जैन, एत्मादपुर ( जागरा ) शिवपुर पथ परिचायक जय हे, सन्मति युग निर्माता । गङ्गा फल - फल स्वर में गाती, तव गुण गौरव गाथा । सुर नर किन्नर तव पद युग में, नित नत करते माथा ॥ दम भी तव यश गाते, सादर शीश झुकाते । हे सद्
बुद्धि प्रदाता || दु.पहारक सुप दायक जय हे, सन्मति युग निर्माता ।
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे ॥ सन्मति युग निर्माता ॥१॥
मंगल कारक दया प्रचारक, बग पशु नर उपकारी । भविजन तारक कर्म विदारक, सब जग तव आभारी ॥
जब तक रवि शशि तारे, तब तक गीत तुम्हारे । विश्व रहेगा गाथा ॥ त्रिर सुख शान्ति विधायक जय हे, सन्मति युग निर्माता । जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे ॥ सन्मति युग निर्माता ||२|| नात् भावना भुला परस्पर, लडते हैं जो प्राणी । उनके उर में विश्व प्रेम, फिर भरे तुम्हारी चाणी ॥ सब में करुणा जागे, जग से हिंसा भागे । पायें सब सुख साता ॥
निर्माता ।
हे दुर्जय दुख दायक जय हे, सन्मति युग जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय
जय हे ॥ निर्माता ||३||
सन्मति युग