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रागप्रभाती
( तर्ज घनश्यामजी की महिमा अपार )
है मेरे मुनिजी बड़े विद्वान, पूज्यजी की महिमा अपार । नगर बीकाना है गुलजार, जिसमें पधारे आप मुनिराज दर्शन को आवे संसार, भक्ति करोनी उतरो पार ॥ पूज्यजी ॥
नाम आपका जवाहिरलाल, सचमुच है ज्वाहिरातकी
खान
विद्या में ही पूर्ण विद्वान धर्म का किया है प्रचार । पूज्यज़ी ॥ श्रावक सब दर्शन को आयें, व्याख्यान सुनकर लाभ उठावें दिल में मग्न अति होजावें, अब शिक्षा को नहीं है पार || पूज्यजी ॥
सोमवार दिन मौनको धारें, प्रभु से हरदम ध्यान लगावें तपस्या में दिल खूब लगावें, करते हैं देशक- उद्धार ॥ पूज्यजी ॥
वृत्ति आपकी कठिन निराली, लोगोंको लगती अतिप्यारी दर्शन को आवे नरनारी, खादी का किया है प्रचार ॥ पूज्यजी ॥
शिष्य आपके परमरत्न हैं, संस्कृत में पूरे निपुण हैं