SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (९) रागप्रभाती ( तर्ज घनश्यामजी की महिमा अपार ) है मेरे मुनिजी बड़े विद्वान, पूज्यजी की महिमा अपार । नगर बीकाना है गुलजार, जिसमें पधारे आप मुनिराज दर्शन को आवे संसार, भक्ति करोनी उतरो पार ॥ पूज्यजी ॥ नाम आपका जवाहिरलाल, सचमुच है ज्वाहिरातकी खान विद्या में ही पूर्ण विद्वान धर्म का किया है प्रचार । पूज्यज़ी ॥ श्रावक सब दर्शन को आयें, व्याख्यान सुनकर लाभ उठावें दिल में मग्न अति होजावें, अब शिक्षा को नहीं है पार || पूज्यजी ॥ सोमवार दिन मौनको धारें, प्रभु से हरदम ध्यान लगावें तपस्या में दिल खूब लगावें, करते हैं देशक- उद्धार ॥ पूज्यजी ॥ वृत्ति आपकी कठिन निराली, लोगोंको लगती अतिप्यारी दर्शन को आवे नरनारी, खादी का किया है प्रचार ॥ पूज्यजी ॥ शिष्य आपके परमरत्न हैं, संस्कृत में पूरे निपुण हैं
SR No.032479
Book TitleJain Me Chamakta Chand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharichand Manekchand Daga
PublisherKesharichand Manekchand Daga
Publication Year1927
Total Pages24
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy