Book Title: Jain Me Chamakta Chand
Author(s): Kesharichand Manekchand Daga
Publisher: Kesharichand Manekchand Daga

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Page 19
________________ (१४) शेर-शुभ नाम जवाहिरालाल मुनि का सच जवा हिरात कोष है। शुचि सुयश धनवाणी, सदन छल छिद्र विन निर्दोष है। ऐसे सज्जनों को ईश बनाये रखे ॥ जगदुर्लभ ॥ . रागाँड (तर्ज- गौमाता करे पुकार प्रभुजी रक्षा किजो हमार) सब श्रावक करे पुकार मुनिजी रक्षा किजो हमार . मानुष्य तन पा करके जगमें बहुत किया उपकार. दे२के उपदेश सभी को देश का किया उद्धार सषश्रावक।। धर्म प्रचारक देशोद्धारक अन्तर्यामी हो आप । अब तो टेर सुनो मेरे मुनिजी क्यों नहीं हरते हो पाप ॥ सब श्रापक ।। देश विदेश के आवे यात्री लेते हैं धर्म का लाभ । परमपूज्यजी की मेहर हुवे जब देते पूरा ज्ञान |श्रावक॥ हम आये हैं शरण तुम्हारी रख लीजो मुनि लाज । भव सागर वीच आन फँसाहूँ क्यो नहीं उतारो पार ।। ॥ सब श्रावक॥

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