Book Title: Jain Me Chamakta Chand
Author(s): Kesharichand Manekchand Daga
Publisher: Kesharichand Manekchand Daga

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Page 20
________________ (१५) दद्यादान का रस्ता बता कर किया भारत में नाम। जवाहरमल गुण आपका गावे यही सनातन की राय॥ ॥सब श्रावक०॥ - OXAKOLe-- राग भैरवी ठुमरी (तर्ज गौओं की मुनोपुकार) मेरेपूच्यकी महिमा अपार २ सुनलो मित्रोध्यानलगाय शेर- गतत्तुमास भीनासर कीना दे २ उपदेश खुश करदीना दर्शन को आयेसरदीवान २ ॥ मेरेपूज्यकी ॥ शेर-कइसज्जन दर्शन को आये दिलमें वे फिर बहु हरखाये सोया हिन्दको दिया है जगाय २॥ मेरेपूज्यकी ॥ . शेर--- अछूतोंको उपदेश दीना मदिरा त्यागन उन्होने कीना । उनका किया है सुधार २।। मेरेपूज्यकी। शेर-- सबभावक दिलमें हरखावें व्याख्यान सुनकर लाभ उठावें समाज को दिया अब तार २॥ मेरे पूज्य की

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