Book Title: Jain Me Chamakta Chand
Author(s): Kesharichand Manekchand Daga
Publisher: Kesharichand Manekchand Daga

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Page 21
________________ शेर-अयोग्य विवाह भी निषेध करते देशमति हितकार्य करते खादी का किया है प्रचार २॥ मेरे पूज्य की। शेर-जितने हैं भारत में भाई गौरक्षाकी करलो तैयारी सनातन देता यही राय २॥ मेरेपूज्यजी ॥ श्री गंगासिंहजी है तप धारी महाराज कुमारों की है बलिहारी भैरूसिंहजी है बुद्धिमान २ शेर-जवाहरमल गुण आपका गावे ___ हरदम मुनिका ध्यान लगावे ग्रव चौमासा देवो नी फरमाय २॥ मेरेपूज्य की। पुस्तक मिलने का पता - चन्दनमल हस्तमल डागा सेठियों कीगवाड़ घीकानेर ( राजपूताना )

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