Book Title: Jain Me Chamakta Chand
Author(s): Kesharichand Manekchand Daga
Publisher: Kesharichand Manekchand Daga

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Page 13
________________ (5) रागगजल ( तर्ज सीयाराम अयोध्या बुलालो मुझे ) मेरे पूज्यजी दर्श दिखादो मुझे अपने चरणों का दास बनालो मुझे । शेर - पंच महाव्रत पालते. अरु करते उग्रविहार हैं जीव की रक्षा लिए करते रहे उपकार हैं मैं तो आया शरण अबतारो मुझे ॥ मेरेपूज्यजी ॥ शेर - इस संसार सागर के अन्दर नाव डूबी जात है । तूही खिवैया है मेरा और तूही तारण तार है । तो करके दया मुनि तारो मुझे || मेरे पूज्यजी ॥ शेर -- नाम सुनकर आपका दर्शन को मैं आया यहाँ व्याख्यान सुनकर मुनिका दिल में हर खाया जहाँ अब तो मुक्ति का मार्ग बतादो मुझे || मेरे पूज्यजी ॥ शेर- विद्यामें प्रवीणहो और ज्ञान के भंडारहे। सत्यके समुद्र हो और दीन के उद्धार हो अब तो घोर दुःखों से बचादो मुझे || मेरे पूज्यजी ॥ शेर - सम्बत उगनीसे चौरासीयेका आश्विन शुक्ला दशमी विनती करे जवाहरमल कबपारउतारसी अबतो चौमासेकी मेहर फरमादो मुझे || मेरे पूज्यजी ।।

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