Book Title: Jain Me Chamakta Chand
Author(s): Kesharichand Manekchand Daga
Publisher: Kesharichand Manekchand Daga

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Page 16
________________ (११) कोई कहता है मांस खाने से ताकत बहुत आ जाती है। जब ऐमा है तोक्यों नहीं लोमड़ी सिंह को मार भगाती है कोई कहता है मांस खाने से काम रती रूक जाती है। जब ऐसा है तोक्योंरंडी फिर नित नये यार बुलाती है। विना ज्ञान के मांसाहारी झूठी शंका लाते है।सुनो मित्र. घर०॥पंडित ब्रह्मन अनन्त मापको सत्य २ समझाते है रागगजल (तर्ज-दर्शन देना हो नंदलाल गौओं को चराने वाले) धन्य २ श्रेष्ठ मुनि ऋषिराज दर्शदे तक हरने वाले। अब से पूर्व मुनि छःवर्ष अन्न का त्यागन किया है सहर्ष रोज इस देश हेतु उत्कर्ष कर रहे हैं कार्य अनेक निराले ॥ धन्य॥ जय २ जैन धर्म के सूर पातक तिमिर विनाशो दर काम क्रोध तजि गहि मदचूर सत्य पथ पर चलाने वाले ॥ धन्य ।। कर २ धर्म का प्रचार देश का किया बड़ा उपकार ऋषिजी भले बने हितकार सोया हिन्द जगाने वाले ।धन्य॥

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