Book Title: Jain Maru Gurjar Kavi Aur Unki Rachnaye Author(s): Agarchand Nahta, Publisher: Abhay Jain Granthalay View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३१ AM । AD ३५ ३५ ३६ ३४ ख. जिनप्रभ सूरि शि. ४४ जिनप्रभ सूरि गीत त्रय ३५ जयधर्म(ख. जिन कुशल सूरि शिष्य) ४५ श्री जिनकुशल सूरि रेल्हुया ३६ अज्ञात ४६ श्री जम्बूस्वामि सत्क वस्तु ३७ अज्ञात ४७ श्री थूलिभद्र मुनि (मदनयुद्ध) __ वर्णनाबोलि ४८ श्री शालिभद्र रेलुमा ४६ धर्म चच्चरी ५० कृपणनारी संवाद ५१ श्री चतुर्विशति जिन चतुष्पदिका ४२ शांतिभद्र ५२ चतुर्विशति नमस्कार ४३ अज्ञात ५३ चतुर्विशति तीर्थंकर नमस्कार ५४ मातृका बावनी ४५ वीरप्रभ मुनि ५५ श्री चन्द्रप्रभ कलश ४६ ख. जिनचन्द्र सूरि शि. ५६ श्री आदिनाथ बोली ४७ अज्ञात ५७ श्री नेमिनाथ बोली ५८ श्री युगादिदेव जन्माभिषेक कलश ५६ श्री युगादिदेव कलश ६० श्री चन्द्र प्रभ स्वामि कलश ६१ श्री वासुपूज्य कलश ५२ रामभद्र ६२ शांतिनाथ कलश ५३ अज्ञात ६३ श्री शांतिनाथ कलश ६४ श्री नेमिनाथ स्तवनम् ६५ श्री वीर जिन कलश ६६ श्री महावीर कलशः ३८ ३८ ३६ ४० ४८ " ४६ ५० ॥ ॥ For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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