Book Title: Jain Ling Nirnay
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Page 2
________________ (90) ujsagonala की आज्ञा होयतो मेरा मनोर्थ सुफल होय तत्र सब लोगों ने आज्ञा दी इस रीतिसे इस चौमाशे की व्यवस्था किंचित वर्णन या परंतु सुनिये सुनिये एक बात और भी सुनिये आजतक न पाई हमने सब लोगों को नई खबर सुनाई पंच माहा वृत्तधारियों की ऐसी महिमा पाई इसलिये हमने सर्व जैनीयों को खबर पहुंचाई कि जिस वक्त ढूंढनी और ढूंढिया जी विहार करने को कहा कि आज एकम के दिन तीसरे पहर विहार करेंगे ऐसा अपने श्रावगों को सुनाया तब उनके धोरी श्रावग सेवक को बुलायकर कहा कि कुल आसवार पोरवारों में कहआवो कि आज दुपहर के बाद भारजांजी और साधुजी विहार करेंगे उनके पहुंचाने के वास्ते मरद और लुगाई सर्व आओ दया धर्म की महिमा को दिखाओ.ये क्या की निशानी साधुओं के विहार में बुलौवा की किस सूत्र में बखानी उत्कृष्टेपने की बात आनी अब दूसरी सुनो कि दंडिया मत के दो चार श्रावगों ने माहाराज साहब से कहा था कि एकम मंगसर बद को नंदराम जीआवेगा और आपसे शास्त्रा करेगा हमारे साधुवों में बड़ा भारी पंडित है इस कारण / माहाराज साहब एकम को विहार न किया और पंचमी तर नंदराम ढूंढिया की राह देखी उसके पाने का पता नपार तब ग्यारह बजे विहार किया और किसी को खबर न प गाम के दरवाजे कि तरफ जाने देख किसान लोगों ने हल मचाया सुनकर लोगों के हृदय में प्रेम हुलसाया जिसने सुः वही माहाराज के दर्शन को धाया दरवाजे के बाहर पच कदम पर दर्शन पाया अंधारिया बड़के नीचे हिंदू मुसला सर्व सज्जन पुरुषों ने चरण में शीश नवाया माहाराज स का साथ छोड़न में सबका जीव घबराया आखिर को माहा साहब ने कदम आगे को बढ़ाया इत्यादि समाचार /

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