Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 04
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 8
________________ अनुक्रमणिका. १७ जीवने संसारमा जमतां प्रथम समकेतनो लान केम थाय ते तथा यथां प्रवृत्त्यादिक त्रणकरणनुं स्वरूप कर्मग्रंथिक अने सिक्षांतिक मतें देखाइयु तथा समकेतथी पडवानुअने औप शमादिक पांच समकेतनुं स्वरूप आदिक बीजापण दश प्रकार नीरुचि प्रमुख घणे प्रकारे समकेतना छेद दर्शाव्या बे. .... ६० १७ बही गाथामां समकेतना पांच अतिचार पडिकम्या के ए गाथा धागल त्रेवीशमां पृष्टमां पण नूनथी बपा डे तिहां संदेपथी पांच अतिचारनां नाम मात्र लखी गया इता अने ए ठेकाणे शंकादिक एकेका अतिचारने देशथी तथा सर्वथी सविस्तर वर्णन करीने देखाड्या ने माटे अर्थ आगली गाथाना तथा आ गाथाला सर्वे वांचवा पण मूलपानी गा था वेमांथी एकजवांचवी अने एक नूलथीलखायेली समजवी. ६७ १५ शंकानेविषे हेतु देखाडीने पनी वे पुरुषनी कथा कही ...... ६७ २० कांदानुं स्वरूप दर्शावी पबी चामुंडाना नक्त ब्राह्मणनी कथा कहीले ६ए २१ वितिगिलाना स्वरूपमां देवतानी पदवी पामेला देवो शादी श्रावी आपणने केम स्थिर करता नथी तथा कोई फुःख प्राप्त थाय तो ते धर्म कस्याथीज थयुं इत्यादि असन्य बोलनाराउनी 'शंकाउना समाधान अने तेनी ऊपर अजा साध्वीनुं दृष्टांत. ७१ २२ वितिगिलानी उपर आपाढनूति आचार्य दृष्टांत. . ... २३ वितिगिबानो किहांएक विनति एवो पाठ तेना व्याख्यान मां साधुनों मेलेंकरी मलिन थयेलां शरीर देखी उगंडा करवा थीजे दोप लागे तेनी विवदा करतां तेमां शोच आश्रयी अन्यदर्शनीननां पण केटलांएक शास्त्रोनां दृष्टांत देखाड तां तेनी अंतर्गत एक वाणीयानी पुत्रीनी कथा कही ले..... २४ चोथा कुलिंगिनी प्रशंसाना अतिचारनुं स्वरूप. .... २५ चोथा अतिचारनी उपर लक्ष्मणशेनी कथा. ..... २६ कुलिंगीसाथे परिचय करवाना अतिचारनुं स्वरूप. २७ सत्संग अने कुसंग ऊपर वे सूडानो दृष्टांत. २५ ए शंकादिक अतिचारनेविपे सिमर्षिसाधुनुं दृष्टांत, C ७७ G gu

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