Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 04
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ अनुक्रमणिका. १७ लौकिक देवगतमियात्वना जूदा जूदा ७ नेद कह्या वे..... ३० लौकिक गुरुगत मिथ्यात्वनुं स्वरूप. ३१ मिथ्यात्वना पांच जेद कहीने प्रथमाधिकार समाप्त करो बे. ३२ सातमी गाथामां चारित्रना अतिचार माटे आरंजनी निंदा क रतां संरंन थारंज ने -समारंजनां स्वरूप दर्शाव्या बे. ३३ श्रामी गाथामा सामान्यपणें बारव्रतनां नाम कहां बे. ३४ नवमी गाथामा पहेला पांच अणुव्रतनुं स्वरूप कये बे...... ३५ हिंसाना. २४३ जेद तथा इव्यनावथी हिंसानी चोनंगी. ३६ हिंसानुं स्वरूप अनेकरीतें देखाड्धुं ने, तेमां पांच प्रमाद तथा या प्रमादनां स्वरूप तेमज याकुटी दपदिकनां लक्षण...... ३७ दशमी गायामां प्रथमत्रतना पांच प्रतिचारनुं स्वरूप. ३० यज्ञादिकने विषे यती हिंसानो संभव तथा तेनो निषेध. ३० अन्यदर्शनियो पण यज्ञमां हिंसा कहे ने तेनुं लेख. ४० प्रथमव्रत पालवानुं तथा न पालवानुं फल कह्युं छे. ४१ प्रथमव्रतने विषे दृष्टांतरूपें हरिबलमचीनी कथा.. ४२ गोयारमी गाथामां वीजाव्रतनेविषे मृपावाद केटले कारणे बोलाय वे इत्यादि स्वरूप तथा कन्यानिकादिकनां लक्षण. १३७ ४३ बारमी गायामां मृषावादना पांच प्रतिचार कह्या बे. १४१ ४४ असत्य त्यागवत पालन करवानुं तथा न पालवानुं फल. ४५ असत्य वचननी ऊपर शेठना पुत्रनुं दृष्टांत. ४६ बीजाव्रतने विषे दृष्टांतरूपें कमलशेठनी कथा कही वे. ४७ तेरमी गायामां प्रदत्तत्यागत्रतनो अधिकार चारप्रकारनां प्रदत्त. १६३ ४८ चौदमी गाथामां त्रीजावतना पांच प्रतिचार कह्या ठे. ४५ श्रावकें केवीरीतें व्यापार करवो तथा व्याज जेवुं इत्यादि. · १४२ १४४ १४५ १६३ १६५ १६६ .... ५० चोरनी दार प्रसूतियोनां स्वरूप कह्यां ऐ. ५१ त्रीजावतने पालवानां तथा न पालवानां फल. .... .... .... .... ५ १ ए ८ २ Ե Ա .... Ե Ա ԵՍ ԵՍ o ए დე ए 200 200 ܐ ܘ ܐ १६८ ५२ त्रीजाव्रतनी ऊपर वसुदत्त ने धनदत्त ए वे पितापुत्रनी कथा. १६८ ५३ पंदरमी गाथामां चोथा ब्रह्मचर्यव्रतनुं स्वरूप कयुं बे. ५४ शोलमी गाथामां चोथावतना पांच प्रतिचार कह्या बे. १५० १९०

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 477