Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 04
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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अनुक्रमणिका. ५५ शीलनो महिमा अन्यदर्शनियोना शास्त्रमा पण जे इत्यादि..... १९५ ५६ ब्रह्मचर्यपालवानुं फल तथा न पालवाथीरावणादि पुःख पाम्या. १५ ५७ चोथावतनी ऊपर शीलवती सतीनी अत्यंत रसिक कथा..... १ एए ५७ सत्तरमीगाथामां पांचमां परिग्रहपरिमाणवतनुं स्वरूप. ..... २३० ५ए अढारमी गाथामां पांचमाव्रतना पांच अतिचारनुं स्वरूप तेमां
प्रसंगे चोवीशजातिनां धान्यं, चोवीशंजातिनां रत्न, थावरपरि
ग्रहंना नेद तथा विपद चतुष्पदादिक परिग्रहोना नेद. .... २३० ६० जानिरोधादिकनां स्वरूप आशंका समाधान पूर्वक . .... २३३ ६१ पांचमा व्रतने पालवानां अने न पालवानां फल. .... ६२ पांचमा व्रतनी ऊपर धनशेत तथा तेना पुत्र महानंदनी कथा. ६३ उगणीशमी गाथामां बहा व्रतना पांच अतिचार कह्या ..... ६४ बहा व्रतने पालवानां तथा न पालवानां फल. .... .... २५० ६५ बघा व्रतनेविषे दृष्टांतरूपें महानंदकुमरनी कथा..... ६६ सातमा जोगोपनोगव्रतनुं स्वरूप. .... .....
.... २६३ ६७ वीशमी गाथामां मद्य मांसादिक अनक्ष्यथी थता गेर फायदा. ६७ रात्रिनोजनना दोष अन्यदर्शनमां पण ले माटे ते वर्जवं. .... २६७ ६ए रात्रिनोजनना थाराधन विराधनविपे त्रण मित्रनी कथा. .... ७० बावीश अनदयनो निषेध अन्यदर्शनमां पण . .... ७१ बंत्रीश अनंतकायनां नाम तथा तेनां लक्षण. .... . .... ७२ एकवीशमी गाथामा सातमा व्रतना पांच अतिचार. .... २७७ ७३ बावीश अंने त्रेवीशमी गाथामा कर्मादानना पंदर अतिचार. २०० ७४ ए व्रतने आराधवा विराधवानां फल कह्यां . .... .... २७४ ७५ ए व्रतन, कपर दृष्टांतरूपें मंत्रीपुत्रीनी.कथा कही जे. .... २०४ ७६ आठमा अनर्थदंमवतमा आर्तध्यानादि चारध्याननु स्वरूप. एए ७७ चोवीशमी पञ्चीशमी गाथामां हिंसाप्रदान तथा प्रमादाचरि
तमां घणुं सावधपणुं ने एमां जयंती श्राविकाना प्रश्न पण ले. ३०० ७७ धनुषादिक अधिकरणना व्यापारमा जे जीवना शरीरथी ते शस्त्र
नीपन्यां होय ते जीवने केटलि क्रिया लागे जे तेनो निर्णय. ३०४ ७ए ए व्रतने आराधतां चूला ऊपर चंदरवा बांधवाथी कहेवा सुख

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