Book Title: Jain Katha Ratna Kosh Part 04
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 11
________________ अनुक्रमणिका. ง .... प्राप्त थाय बे ते श्राश्रयी मृगसुंदरीनी कथा. ३०६ ८० कुमारपालना बनेवीने हास्यवचनथी अनर्थ थयो तेनी कथा. ३१० ८१ वीशमी गायामां आठमा व्रतना पांच प्रतिचारनुं स्वरूप. ३१० ८२ आठमा व्रतनेतिषे वीरसेन ने कुसुमश्रीनी कथा. ३१२ ८३ नवमा सामायिकव्रतनुं स्वरूप. ३३७ ३४० ८४ सत्ताधीशमी गाथामां सामायिकत्रतना पांच प्रतिचार. ८५ विधि प्रविधि सामायिक करवानां समाधान तथा सामा यिकना कालनुं समाधान तथा सामायिकनुं फल. ८६ सामायिकंत्रतने विषे व्यवहारी पुत्र धनमित्रनी कथा. ८७ दशमा देसावगासिक व्रतनुं स्वरूप. हावीशमी गायामां देशावका सिकव्रतना पांच प्रतिचार....३५८ ... .... .... ... .... .... ८० देसावगासिकव्रत पालन करवानुं फल. ३५९ ३५० ९० देसावगा सिकव्रतने विषे राजाना जंमारीनी कथा. १ अगियारमा पौषधोपवासव्रतनुं विस्तारें स्वरूप जांगासहित...... ३६० २ गणत्री शमी गाथामां ए व्रतना पांच प्रतिचारकह्या बे. ३७१ ९३ बीज तथा पांचमध्यादिक तिथीनो निरधार करवानी चर्चा..... ३७३ .... .... ४ पोषधवत याराधवानुं फल ...... ३७६ ३०५ p... ५ पोषवत राधवा विराधवा ऊपर शेठना बे पुत्रनी कथा. ३७६ ६ बारमा प्रतिथिसंविभागव्रतनुं स्वरूप कयुं बे. एउ त्रीशमी गाथामां ए व्रतना पांच प्रतिचार कह्या बे. ८ बारमा व्रतनुं आराधन करवानां फल ३८ შდდ ...go बारमा व्रतनेविषे गुणाकर घने गुणधरनी कथा. १०० एकत्रीशमी गाथायें, बारमा व्रतनेविषे केटलाएक बीजा पण प्रतिचार का बे एनां सुखिया दुःखिया साधुना अर्थ बे. ४२४ १०१ बत्रीशमी गाथामां साधुने संविभाग थाश्रयी वात बे एमां चरणसीतरी करणसीतरीमां सत्तर प्रकारनुं संयम कयुं छे. ४२७ १०२ तेत्री शमी गाथामां संजेवणाना यतिचार कह्या बे. १०३ नवनियाणानुं स्वरूप कह्युं छे. १०४ चोत्रीशमी गाथायें यतिचारने त्रण योगीं पडिकम्या बे..... ४३२ ४२८ ४३० .... .... ३४१ ३४३ ३५७ **** .... ४००

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