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सिद्धांत एवं प्रतीकार्य
[ भाग १
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रेखाचित्र 48. नंदीश्वर-द्वीप प्रासाद (प्रभाशंकर ओ. सोमपुरा के अनुसार) और नौ की पृष्ठ-पंक्ति में होती है। यह संख्या बावन और नंदीश्वर द्वीप के जिनालयों की संख्या के अनुरूप अवश्य है किन्तु इस द्वापंचाशत् जिनालय की निर्दिष्ट रूपरेखा और नंदीश्वर द्वीप की लोकविद्या के अंतर्गत निर्दिष्ट रूपरेखा में पर्याप्त भिन्नता है, तथापि यह मानना ही पडेगा कि द्वापंचाश जिनालय भी नंदीश्वर-द्वीप-जिनालय का एक सरलीकृत रूपांतर है।
मंदिर में पूर्वोक्त (पृष्ठ ५२५), पच्चीस भेदों में जो नंदिशाल और नंदीश नाम हैं उन्हें नंदीश्वर द्वीप-जिनालय के ही रूपांतर माना जा सकता है पर विवरण के प्रभाव में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता । पहले (पृष्ठ५२८) जिन बावन जिन-प्रासादों की नामावली दी गयी है उन्हें नंदीश्वर-द्वीपजिनालय माना जाये तो नंदीश्वर द्वीप के बावन जिनालयों के नाम और कुछ विशेषताएं ज्ञात हो सकेंगी, अन्यथा ये अज्ञात ही हैं।
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