________________
अध्याय 38 ]
भारत के संग्रहालय
गया है । तीर्थंकर को धोती पहने अंकित किया गया है जिससे प्रतीत होता है कि यह प्रतिमा श्वेतांबर जैनों के लिए उपासना हेतु निर्मित की गयी थी। तीर्थंकर की दायीं ओर एक चमरधारी सेवक तथा ऊपरी भाग में मकर-शार्दुल अंकित है। यह प्रतिमा चालुक्यकालीन बारहवीं शताब्दी की है।
पूर्व-भारत
ऋषभनाथ (६०.१४७६; ऊंचाई ५२ सें. मी.) : इस प्रतिमा में तीर्थंकर ऋषभनाथ को कायोत्सर्ग-मुद्रा में दिखाया गया है। तीर्थकर जटा-मुकुट धारण किये हुए हैं तथा उनके पार्श्व में दोनों ओर एक-एक सेवक तथा एक उड़ता हुआ गंधर्व अंकित है । काले पत्थर से निर्मित यह प्रतिमा बिहार से प्राप्त हुई और ग्यारहवीं शताब्दी की है (चित्र ३३८ क) ।
पंच-तीथिका (६०.५६४; ऊँचाई ५० सें. मी.): काले पत्थर में निर्मित उपरोक्त ऋषभनाथ-प्रतिमा की समकालीन तथा इसी क्षेत्र से प्राप्त एक अन्य प्रतिमा तीर्थंकर चंद्रप्रभ की पंचतीथिका है जिसमें तीर्थंकर को कायोत्सर्ग-मुद्रा में दर्शाया गया है। उनका लांछन अर्ध-चंद्र पादपीठ के सम्मुख-भाग पर उत्कीर्ण है।
अंबिका (६३.६४०; ऊँचाई ६७ सें. मी.): इस प्रतिमा में तीर्थंकर नेमिनाथ की यक्षी अंबिका आम्र-वृक्ष के नीचे एक पद्म-पुष्प पर खड़ी हुई दर्शायी गयी है। वह दायें हाथ में आम्रगुच्छ धारण किये है। और उसके बायें हाथ की अंगुली को एक शिशु पकड़े है। उसका दूसरा शिशु दायें पैर के समीप खड़ा है। देवी शिरोभूषण, गलहार, भुज-बंध, कंकण, मंगलसूत्र तथा अधोवस्त्र धारण किये है । उसकी दोनों ओर एक-एक नृत्य-रत प्राकृतियाँ अंकित हैं। देवी के सिर के ऊपरीभाग में एक तीर्थंकर-प्रतिमा और दो कमल-पुष्प उत्कीर्ण हैं । उसका वाहन सिंह पाद-पीठ के सम्मुख-भाग पर अंकित है। यह प्रतिमा बिहार के पाल-शैली के कलाकारों की कृति है (चित्र ३३८ ख)।
तीर्थकर के माता-पिता (६०.१२०४; ऊँचाई ४६ सें. मी.) : दशवीं शताब्दी की पाल कला-शैली की इस प्रतिमा में तीर्थंकर के माता-पिता को एक वृक्ष के नीचे ललितासन में दर्शाया गया है। वृक्ष की एक शाखा पर बंदर भी अंकित है। नारी-आकृति को अपनी गोद में एक शिशु को लिये बैठे हुए दिखाया गया है। पुरुष और महिला-प्राकृति को जो मुकुट तथा अन्य वस्त्राभूषण पहने दिखाया गया है वे विशेष रूप से पाल-कला के उपादान हैं। पादपीठ के सम्मुख भाग पर सात उपासकों को हाथ जोड़े हुए दर्शाया गया है। वृक्ष की दोनों ओर एक-एक गणधर भी अंकित है। बंगाल से प्राप्त इसी विषय-वस्तु को प्रदर्शित करने वाली एक अन्य आकर्षक प्रतिमा (६०.१५३; ऊँचाई ३६ सें. मी.) भी यहाँ है जिसमें तीर्थंकर के माता-पिता को ठीक इसी प्रकार बैठे हुए दर्शाया गया है । पुरुष और महिला दोनों ही प्राकृतियाँ अपनी-अपनी गोद में एक-एक बालक को लिये बैठी हैं। यह दंपति आभूषण और अधोवस्त्र ठीक वैसे ही पहने हुए है जैसे
573
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org