Book Title: Jain Hiteshi 1920 01 02 Ank 04 05
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 36
________________ जैनहितैषी [भाग १४ धनिक-सम्बोधन । कितनी लज्जा और शरमकी बात है। हमारे भाईयोंको ऐसे ऐसे ग्रंथरत्नोंकी तलाश और उनके उद्धारमें लग जाना चाहिये। जहाँ अन्य ___भारतके धनिको ! किस धुनमें सैकड़ों गृहकार्य करते हैं वहाँ ऐसे धर्मकार्यों पड़े हुए हो तुम बेकार ? में भी कुछ थोड़ा बहुत योग जरूर देना चाहिये, अपने हितकी खबर नहीं, इसे भी अपने जीवनका एक लक्ष्य बनाना चाहिये। .. या नहीं समझते जग-व्यवहार ? आशा है हमारे भाई इस ग्रंथको भी अपने ___ अंधकार कितना स्वदेशमें भंडारोंमें जरूर टटोलेंगे। उन्हें अपने अपने भंडा- ____ छाया देखो आँख उघार, रोंकी परिश्रम करके एक एक अच्छी विस्तृत सूची बिलबिलाट करते हैं कितने, तय्यार कर लेनी चाहिये जिससे फिर बार बार सहते निशदिन कष्ट अपार ! किसी भी ग्रंथका पता लगानेके लिये उन्हें सारे (२) भंडार टटोलना न पड़ा करें । जिन भाई- कितने वस्त्रहीन फिरते हैं, योंको सूचीके लिये बाकायदा अच्छे क्षुत्पीडित हैं कितने हाय ! फार्मोंकी जरूरत हो वे हमसे मँगा सकते धर्म-कर्म सब बेच दिया है हैं । हमारी रायमें इस ग्रंथ पर भी कितनोंने होकर असहाय !! तलाशके लिये परितोषिक नियत होने की जो भारत था गुरु देशोंका, जरूरत है। महामान्य, सत्कर्म-प्रधान, १५ महाविद्योद्धार ( श्रीकल्प गौरवहीन हुआ वह, बनकर पराधीन, सहता अपमान । कौस्तुभ )। ' महाविद्योद्धार' अथवा 'श्रीकल्पकौस्तुभ' क्या यह दशा देख भारतकी, नामका यह ग्रन्थ मैसूर राज्यकी ओरियंटल तुम्हें न आता सोच-विचार ? लायब्रेरीमें मौजूद है और उसकी हस्तलिखित देखा करो इसी विध क्या तुम संस्कृत ग्रंथोंकी सूचीके द्वितीयभाग नं. . पड़े पड़े दुख-पारावार ! ७२९ पर दर्ज है। इसकी पत्रसंख्या १९ दी धनिक हुए जिसके धनसे क्या है और इसे आन्ध्राक्षरों ( तेलगू ) में लिखा । योग्य न पूछो उसकी बात ! हुआ प्रकट किया है। परंतु अभी तक यह गोद पले जिसकी क्या उसपर मालूम नहीं हुआ कि यह ग्रंथ कौनसे आचार्यका देखोगे होते उत्पात !! बनाया हुआ है, कब बना है और इसका . (४) विषय क्या है । नाम परसे यह कोई अच्छा भारतवर्ष तुम्हारा तुम हो और अश्रुतपूर्व ग्रंथ मालूम होता है । आशा है भारतके सत्पुत्र उदार, फिर क्यों देश-विपत्ति न हरते है कि मैसूरके कोई विद्वान भाई, उक्त लायबेरीसे ___ करते इसका बेड़ा पार ? इस ग्रंथको निकलवाकर, इसके सम्बंधमें हमें पश्चिमके धनिकोंको देखो कुछ विशेष हालातसे सूचित करनेकी कृपा करेंगे ___ करते हैं वे क्या दिनरात, और दूसरे भाई भी अपने अपने यहाँके भंडारोंमें और करो जापानदेशके इसकी खोज लगाएँगे। (क्रमशः) धनिकों पर कुछ दृष्टि-निपात ॥

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