Book Title: Jain Gaurav Smrutiya
Author(s): Manmal Jain, Basantilal Nalvaya
Publisher: Jain Sahitya Prakashan Mandir

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Page 8
________________ १० जन-गौरव-स्मृतिय १० 冬冬冬冬冬天 भारतीय इतिहास और राजनीति में जैन जाति - ३०७ - ३९० 1 जैनों का राजनैतिक महत्व ३०७, गण सत्ताकं प्रजा तंत्र ३०६, चेटक ११ मगध के जैन सम्राट बिम्बिसार १४ अजात शत्रु कोणिक १५, नंद वंश और जैन धर्म १६, चन्द्रगुप्त मौर्य १७, सम्राट अशोक का जैनत्व २०, सम्राट सम्प्रति : २५, खरवेल २६, मालव प्रान्त के जैन नृपति ३०, गुजरात के जैनराजा और जैनधर्म ३२, ( वनराज चावड़ा ३३ सोलंकी वंश के राजा, विमल मंत्री, ३४ सिद्धराज जयसिंह ३५, परमार्हत नरेश कुमार पाल ३७, महा मंत्री वस्तुपाल तेजपाल ५०, दक्षिण के जैन राजा और जैन धर्म ३४५ (गंग वंश ४६, चामुण्ड राय ४७. राष्ट्रकूट वंश ४६, तोमानल वंश, कदम्ब वंश ४६, पाण्डय वंश पल्लव गं‍ ५०-५१ ) राजम्थान संरक्षक जैन वीर ३५२ जेम्स टॉड की अभिप्राय ५४, मेवा राज्य के जैन वीर ३५६ जोधपुर राज्य के जैन वीर ३६८ बीकानेर के जैन वी ३७५, मुगल सम्राट और जैन मुनि ३७८, भारतीय स्वातंत्र्य संग्राम के जैन वीर ३८ ★ जैन साहित्य और साहित्यकार पृष्ठ ३९१ (१) आगम काल ६५, अंग बाह्य आगमों के रचयिता ६७, आगमों पर विदेश विद्वान ४०३. (२) : प्राकृत साहित्य का मध्य और संस्कृत साहित्य का उदयकाल पाद लिप्त सूरि १०५, उमास्वाति ०६, सिद्ध सेन दिवाकर ०८, देवधि क्षमा क्षमर १०, जिनेन्द्र क्षमा क्षमण, मानतुरंगाचार्य ११, आचार्य हरिभद्र १२, आदि २. (३) संस्कृत साहित्य का उत्कर्ष तथा अप्रभ्रंश का उदय ४१ श्रमदेव सुरि १८, कविधनपाल १६, बृहद् गच्छीय हेमचन्द्र २१, वादी देवसूरि २२ कवि श्रीपाल २३, कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य हेमचन्द्र २४, रामचन्द्र सूरि २८ लक्ष्मी लिक ३३, मेरुतुरंग ३४ मंडन मंत्री ३४ कवि बनारसीदासजी ३६, (४) आधुनिक काल (यशोविजय युग ) ४३७. आनंदघनजी ३७, यशोविजयजी ३७ विनय विजय तथा मेघ विजय उपाध्याय ३६ जैन साहित्य की सर्वाङ्गीणता ४४० विदेशी जैन साहित्यकार ४५०, साहित्य रक्षा में जैन भंडारों का महत्व ४५३. भारतीय ★ जैन कला और कलाधाम ४५५-५२४ जैन कला की लाक्षणिकता ६५६, श्री नानालाल मेहता का जैन शिल्प कल पर अभिप्राय ५७, रविशंकर रावल का अभिप्राय ५८, काठियावाड़ प्रदेश के प्रसि जैन तीर्थ स्थान ४६१ -इस विषय सूची में केवल प्रमुख साहित्य कारों के ही नामोल्लेख व संख्या बताई गई है। विषय विस्तार में कई साहित्यकारों का निवेचन है । .

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