Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन धातुप्रतिमा लेखसंग्रह प्रथम रानी प्रस्तावना. • एम जैन धातुप्रतिमाओना लेखोथी जैन कोमने तथा जैनेतर कोमोनी ऐतिहासिक विषय संबंधी घणं जाणवानुं मळी शके तेम छे एम जाणी धातुप्रतिमाओना लेखो लेवानो प्रयत्न कर्यो छे. जैन कोममां धातुप्रतिमाओपर लेखो कोतरवानो प्राचीनकालनो रीवाज होय एम जणाय छे. वि. सं. सातमा सैकाथी धातुप्रतिमाना लेखो मळी आवे छे साक्षर श्रीयुत केशवलाल हर्षदराय ध्रुवे पण अमारी वार्ता प्रसंगे अमने जणान्युं हतुं धातुप्रतिमाना लेखो मोटा भागे एक हजार वर्ष चाली शके छे. जैनेतर कोममां पण धातुनी प्रतिमापर लेखो लखवानो रीवाज प्रायः देखवामां आवे छे. परंतु जैनो ते माटे अग्रगण्यपद धरावे छे. वि. सं. नवर्सेनी सालथी आ पुस्तकमां धातुप्रतिमाओना लेखनी प्रारंभता देखवामां आवे छे. धातुप्रतिमा ओना लेखोथी नीचे प्रमाणेनी हकीकत जा णवानी विचार स्फुरणा प्रगटी नीकळे छे. • १ कई कई ज्ञातिवाळा ओए प्रतिमा भरावी. २ हालमां ते ज्ञातियोमांथी कई ज्ञातियो जैनो तरीके छे. ३ कया कया गच्छना आचार्योए प्रतिष्ठा करावी. ४ कया गच्छमां आचार्य प्रतिष्ठा करी शकता अने शकता नहोता ? ९ ते गच्छो पैकी हाल कया गच्छो विद्यमान छे. ६ कया कया गाममां आचार्योंनो वास हतो अने कया कया गाममां जैन गृहस्थ प्रतिमा भरावी. ७ जूनामांजूनो लेख तथा अर्वाचीन लेख. ८ प्राचीन प्रतिमाओपर लेखो लखवानी प्रवृत्ति संबंधी विचार. For Private And Personal Use Only

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