Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1 Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ३ ) पाटण पासे वायड गाम आवेलुं छे. ते पूर्वे एक मोटुं नगर हतुं. वायु पुराणमां वायड वणिकोनुं वर्णन आवे छे. वायुपुराण प्राचीन नथी. वायट गाममां जैन मन्दिरो प्राचीन कालथी विद्यमान हतां पाटणथी पण वायड, गांभू, मोढेरा वगेरे गामो प्राचीन छे. वायड गाममां सर्व वर्णना लोको एक वखते जैनधर्मी हता तेथी वायड गामना नामे त्यां वसता जैनाचार्यो पण वायडगच्छ नामथी प्रसिद्ध थया. वायड वणिको जैन धर्मनी आराधनामां मुख्य भाग भजव्यो छे. विवेकविलास, बालभारत वगेरे ग्रन्थोमांथी वायड ज्ञातिनो इतिहास मळी आवे छे. प्रभाचंद्र सूरिए लखेल प्रभावक चारित्र तथा श्रीराजशेखर प्रणीत प्रबंधकोषमांथी वाय ज्ञाति संबंधी इतिहास मळी शके तेम छे. वायुवाट शब्दपरथी वायड गाम अपभ्रंश तरीके प्रसिद्ध थयुं होय तेम जणाय छे. वायु पुराणमां अतिशयोक्तिथी केटलुक वर्णन कर्युं छे. विक्रमना पांचमा शतकां वायु पुराणनी रचना थएली केटलाको जणावे छे. पण ते सिद्ध थई शकती नथी, तेमां जैनोनुं वा जैन संबंधी बीजी हकीकतनुं वर्णन नथी, तेटला मात्रथी पण जैन वायड वणिकनी पूर्वना कालनुं छे एम मानी शकाय तेम नथी. कारण के केटलीक वखत पाछळथी जे पुस्तक लखवामां आवे छे तेमां पूर्वनी स्थितितुं वर्णन खास प्राचीन पुस्तक सिद्ध करवा माटे लखवामां आवतुं नथी. वायुवट गाममां श्रीमाली; ओशवाल, पौरवाड, नागर, दिशावाड वगैरे वणिकोए पाछळथी आवी वास कर्यो हतो. ते माटे अर्वाचीन श्लोक जुओ. श्रीमाली उसपालाश्च पौरवाताश्वनागराः । दिक्पाला गुर्जरा मोढा, ये वायुवटवासिनः ॥ आ श्लोक पाछळधी रचायलो लागे छे. जे त्रांबापत्रमा आ लोक आवेल छे. आ त्रापत्रनो श्लोक लखायो ते प्रसंगे ते वायड गामना मूळ वाणिया उपरांत ओशवालो, पोरवाडो, नागरो, दशा . For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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