Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1 Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४) दिशावाड, गुर्जरा अने मोढो ते गाममा व्यापारादिक कारणे आव्या हता एम सिद्ध थाय छे. . जे जातो महेश्वर ( महादेव ) ने देव मानवा लागी ते माहेश्वरीय नामे प्रसिद्ध थइ. वल्लभीपुरनो छेल्लो राजा तथा केटलीक वणिक ज्ञातियोए शंकराचार्य पछी महेश्वरनो धर्म स्वीकार्यो ते जैन मटीने माहेश्वरीय ( मेसरी) तरीके प्रसिद्ध थई. हाल पण महादेवने माननारा वाणियाओने माहेश्वरीय (महेसरी) कहेवामां आवे छे. गुजरातमां नवमा सैका पछी जैनो मटीने महेश्वर धर्ममा गएला राजाओ तथा वणिको माहेश्वरीय-महादेवना नामथी धर्म पाळवा माटे प्रसिद्ध प्रख्यात थएल तरीके ओळखावा लाग्या. पण ज्यारे वि. सं. सोळमा सैकामां वल्लभाचार्यनो धर्म विष्णुनी उपासना तरीकेनो गुजरातमां फेलायो, तथा वैष्णवी रामानुजनो धर्म फेलायो त्यारे माहेश्वरीय वणिकोमाथी केटलाक वैष्णव वाणिया तरीके प्रसिद्ध थया. अने जैन धर्म पाळनाराओ जैनवणिक तथा श्रावकवाणियाना नामथी प्रसिद्ध थया. पूर्वे तो चोराशी जातना वणिको जैन धर्म पाळता हता अने तेनी पूर्वे तो शंकराचार्यनी पहेलां तो ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य अने शूद्र ए चार वर्ण जैनधर्म पाळती हती. शंकराचार्य, रामानुज अने वल्लभाचार्यना प्रगटवा पछी माहेश्वरी. वैष्णव तरीके वणिको कहेवाया. परंतु पूर्वे तो ते सर्वे जैन वणिको तरीके प्रसिद्ध हता. वायडवणिको पूर्वे जैन हता. वनराजना वखतमां वायटज्ञाति विद्यमान हती. जैनग्रंथोमां वायडर्नु मोटानगर तरीके वर्णन करवामां आव्यु छे. वायडमां पन्नरमा सैका लगभगमां वाव बनेली छे. वायडमां वि. सं. सातसेंनी सालमां निंब नामना गुजरातना जैन मंत्रीए महावी प्रभुनें देरासर बांध्यु हतुं. प्राचीन देरासरनो ध्वंस थया बाद मुसल्मानोनी राज्यस्थापना पछी लगभग २५ वर्षे नबुं देरासर बनाववामां आव्युं होय एम श्रीजीवदेवसूरिनी For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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