Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal
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(७) मंत्रिपद स्विकार्या. ओशवाल लोको हवे पोतानी पूर्वनी झाहोझलाली प्राप्त करवाने पुनः प्रयत्न करी रह्या छे.
श्रीमालज्ञाति-श्री मारवाडना भिन्नमालनगरमा श्रीमालीज्ञातिनी उत्पत्ति थयेली छे. श्रीमाली ज्ञातिना वडवाओ असल राजाओ हता, अने तेओ भिन्नमाल नगरनी आसपासना प्रदेशमा राज्य करता हता. विक्रम संवत् पूर्वे पण तेओनी सारी झाहोझलाली हती एम इतिहास परथी सिद्ध थाय छे. निवृत्ति मार्गना प्राधान्य उपदेशनी असरथी तेओए राजानी पदवीनो त्याग को अने मंत्रीपद विगेरे पदवीओ स्वीकारी. तेओर्नु केन्द्रस्थान भिन्नमाल होइ तेओ आजुबाजुना प्रदेशमा विचरवा लाग्या. जैनाचार्योए तेओने वणिकना गुणकर्ममा योज्या. काळांतरे तेओ वणिक तरिके प्रसिद्ध थया. श्रीमालीना त्रण भेद छे. १ वीशाश्रीश्रीमाली, २ वीशाश्रीमाली, ३ दशाश्रीमाली ए त्रण भेद हता. तेरमा सैका पर्यंत वीशाश्रीश्रीमाली अन शाश्रीमाली ए बे भेद हता. तेरमा सैकाना अन्ते गुजराना मानतुल तेजपाल थया. वस्तुपाल तेजपाले पाटणमा ८४ जातना वणिकोने जमवाने माटे नोतर्या हता. तत्समये पाटणमां नगरशेठनी पदवी वीशाश्रीमालीने घेर हती. ते वखते नगरशेठनो पुत्र नानो हतो तेथी तेने ८४ जातना जैन वाणीया भेगा थया ते अवसरे बोलाववामां आव्यो नहोतो. तेथी तेनी माताए पुत्रने उश्कों अने कह्यं के वस्तुपाल तेजपालनी माताए पुनर्लग्न कर्या छे ने तेना वस्तुपाल तेजपाल वे पुत्रो छे. ८४ जातना वाणीयाओए ए वातनी तपास करी ते वात साची ठरी तेथी जमणमां भंगाण पडवा मांडयु.जे पोरवाड पक्षना वस्तुपाल तेजपालना पक्षमा रही जमणमां भाग लीधो ते सर्व वणिको दशाश्रीमाली, दश पोरवाड, दशाओशवाल तरीके प्रसिद्ध थया. अने जेओए जमवामां भाग लीधो नहि. तेओ वीशाश्रीमाली वगेरे तरीके प्रसिद्ध थया. त्यारथी वीशा ओशकाल, दशा
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