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( ८ )
ओशवाल, वीशाश्रीमाली, दशाश्रीमाली, वीशा पोरवाड, दशा पोरवाड विगेरे ज्ञातिओना भेद थया. ए रीते वस्तुपालना रासमां लख्युं छे. अने विमलमंत्रिना रासमां तेओनां नाम पण आपवामां आव्यां छे. तेमज बीजा अन्य ग्रन्थोमां पण नामो मली आवे छे. अमारा बनावेला " जैनोनी प्राचीन अर्वाचीन स्थिति " नामना ग्रन्थमां पण नाम आपवामां आवेलां छे. वीशा श्रीमालीने वृद्ध शाखा. दशा श्रीमालीने लघु शाखा श्रीमाली कहेवामां आवे छे एम दरेक प्रतिमाना लेखोपरथी जणाय छे. चोहाण, राठोड, चावडा, सोलंकी विगेरे रजपूतो असल वीशा श्रीमाली तरीके प्रसिद्ध थयेला छे. पाटणनी गाढ़ीपर थयेला वनराज चावडानी संततिना वे पक्ष थया तेमांथी एक हाल जैनधर्म पाळे छे ने बीजो महेश्वर धर्म पाळे छे. वरसोडा तथा माणसाना चावडा राजाना पूर्वजो असल जैन धर्मी हता. वनराजनी पूर्वेना तेना वंशना ३०-३२ राजाओ जैन धर्मी हता. एवं लाडोलना जैन महात्मा मणिलालजीनी वहीमां लखेलुं छे अने ते वही जुनी छे. वनराज पछीना वंशजो जे जैन तरीके कायम रह्या ते वीशा श्रीमाली कोममां भळेला छे. माणसामां उबखलीया वीशाश्रीमालीओ छे ते असल वनराजना वंशना गणाय छे. वनराजनी २० मी के २५ मी पेढीए हाल माणसाना ठाकोर आवेला छे. ने उबखलीआ पण तेज पेढीए आवेला छे. आ उपरथी एम समजी शकाय छे के चावडा चोहाण विगेरे राजाओनां केलांक कुळो जैन वीशाश्रीमाली तरीके हाल विद्यमान छे. श्रीश्रीमाल नामनी वणिक जातिना लोको हाल मारवाडमां घणा छे. ते जातिना जैनोए असल जैन देरासरो ने जैन प्रतिमाओ कराववामां घणो भाग आप्यो छे. जैन धर्मना आचारो पाळवामां पण तेओ श्रेष्ट गणाता हता. वीश श्रीमाळीन बीजो भेद जे दशाश्रीमाली तरीके गणाय छे ते सर्व लोको असल जैन धर्म पाळता हता ने तेमांथी हाल केटलाएक शतक लगभगमां माहेश्वरी, वैष्णव थया छे. लाड़ोलना जैन पूनमीया
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