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(३०) शंकाशील विचारवा योग्य छे. सिडानीगच्छ ते सिद्धांतीगच्छ होय एम लागे छे कारण के तेलेख बराबर वंचायो नथी. केटलाक गच्छोनां नामोने वांचतां शब्द भेद थवानो कोइ ठेकाणे संभव लागे छे. घोषपुरीगच्छ संबंधी विशेष तपास करवानी जरुर रहे छे. भावडहेर, भावडारगच्छ एक होय एम जणाय छे. भावसार ज्ञातिनो भावडहर, भावडारगच्छ साथ संबंध होय एम जणाय छे. पंजाबमां भावडा जैनो छे तेनो कया गच्छनी साथे संबंध हतो तेनो शिलालेखो वगेरेथी भविष्यमा प्रकाश पाडी शकाय तेम छे. क्डगच्छ यतिवर्गमा हाल श्रीबुद्धिसिंहमूरि विद्यमान छे. विनयदेवसूरि तपागच्छना यतिवर्गमा हाल श्रीमुनिचंद्रसूरि विद्यमान छे. खरतरगच्छ यति वर्गमां हाल श्री पूज्य विद्यमान छे अने खरतर संवेगीमां श्रीकृपाचंद्रसूरि विद्यमान छे. अंचलगच्छना यति वर्गमां श्री पूज्य विद्यमान छे. पार्श्वचंद्रगच्छमां आचार्य विद्यमान छे. तपागच्छमां अढीसें वर्षथी संवेगी मुनियोनो वर्ग प्रगटयो छे अने तेमां त्रीश वर्षथी आचार्यो थवा लाग्या छे. खरतरगच्छमांथी नीकळेल श्री मोहनलालजीना संघाडामांना मुनियोमा केटलाक श्री हर्षमुनि वगेरे तपागच्छनी क्रिया करे छे, अने केशरमुनि तथा तेमना शिष्य बुद्धिमुनि वगेरे खरतरगच्छनी क्रिया करे छे. अंचलगच्छमां हाल केटलाक संवेगी साधु थया छे. हाल तपागच्छमां संवेगी साधुओ आशरे अढीसे त्रणसे छे अने हजारना आशरे संवेगी साध्वीओ छे. सर्व गच्छोमा हाल तपागच्छना साधुओनी श्वेतांबर पक्षमा मुख्यताए झाहोझलाली छे अने तेओनुं विशेष जोर छे. हिंदुस्थानना सर्व देशोमा तपागच्छना साधुओ विचरी शके छे. अन विद्वत्तामा तेओ मुख्य भाग भनवे छे.
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