Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 318
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जैन प्रतिमा लेखसंग्रह. १५३ १४५८. सं. १९३५ श्रीमूलसंघे म० श्रीमुवनकीर्त्तिसु० म० श्रीज्ञान भूषणगुरूपदेशात्ज्ञा • गोत्र श्रीनीतिप्रणमति ॥ केसरीयाजी पादुका लेख. १४५९. . सं. १८७३ वर्षे शके १७३९ प्रवर्त्तमाने मासोत्तममासे शुभकारि ज्येष्ठमासे शुक्लपक्षे चतुर्दशी तिथौ गुरौ उपकेशज्ञातीय वृद्धिशाखायां कोष्ठगागोत्रे सुत्रावक पुण्यप्रमात्रक श्रीदेवगुरु भक्तिकारक श्रीजिनाज्ञा प्रतिपालक शाह श्रीशंमुदास तत्पुत्र कुलोद्धारक कुलदीपक शिवलाल अंबावीदास तत्पुत्र दोलतराम वृषभदास श्रीउदेपुर वास्तव्यः श्री आदिनाथ पादुका कारापिता प्रतिष्ठिता श्रीतपागच्छे सकलभट्टारक शिरोमणि भट्टारक श्रीश्रीविजयजिनेन्द्रसूरिभिः उपदेशान्मोहन विजयेन श्रीधूलवरेभंडारि दलिचंद आंगुच्छइ ॥ के १४६०. सं. १०४२ वर्षे वैशाखशुदि ९ सोमे भट्टारक श्री जसराज श्रीकला भार्या सोनबाइ विजिराज द्वंदाचलवीग्रामात तपडी शां. भा० हासणदेत सा पत्रकादेबराइ मारा भ्रात यशुमन भा० छी भ्रात साचा भा० पीची राजवेनाथः शेरपाल श्रीकाष्टः संघे विरन्याका सवगोत्रै एक श्रीयादीसानंदन ॥ डुंगरपुर पार्श्वनाथ जिनालये लेख. १४६१. ॐनमः क.मठेधरणे द्रेच स्वोचितं कर्म कुर्वति प्रभुस्तुल्य मनोवृत्तिः पार्श्वनाथः श्रियेऽस्तु वः ॥ १॥ स्वस्तिश्री संवत् १७९१ वर्षे For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330