Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 263
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९८ अमदावाद. - - ११११, सं. १२६४ माघ शुदि २ नाणगच्छे शान्तिसूरिगुणसमुद्रसू० पुनानिमित्तं श्रीपार्श्वनाथ का० ॥ १११२. सं. १५२० वर्षे वैशाख शुदि ९ सोमे अहमदावाद वास्तव्यश्रीमालज्ञा० दो० धर्मा भा० राभू सु० समधर भा० जछू सु० लखराजलटकणखीमराजयुतेन श्राविका जछू स्व० श्रीसुमतिनाथबिंब का० प्र० विधिना श्रीपूर्णिमापक्षे श्रीजिनभद्रसूरिपट्टे श्रीधर्मशेखरसूरि उपदेशेन ॥ १११३. सं. १४७४ वर्षे फागण शुदि ९ सोमे श्रीश्रीमालज्ञा० श्रे० सामा भा० पाल्हणदे पितृव्य पासण सु० कुंपाकेन निजपूर्वजश्रेयसे श्रीआदिनाथविध का० प्र० श्रीचित्रगच्छे श्रीपार्श्वचन्द्रसूरीणां शिष्यश्रीमलयचन्द्रसूरिभिः ॥ १११४. सं. १९१९ वर्षे वैशाख वदि २ गुरु श्रीहूंबडज्ञा० खरे गोत्रे दो० नरपाल भा० हरखू सु० दो० आभा जासा श्रीआदिनाथबिंब का० प्र० श्रीरत्नशेखरसूरिभिः ।।. १११५. सं. १५९९ वर्षे शाके १४६५ प्र० ज्ये० वदि २ रवौ उकेश श्रे० सूरा भा० पुद्गली पु० नीसल भा० पूगी पु० देवराजयुतेन श्रीचन्द्रप्रभबिंबं का० उकेशगच्छे श्रीसिद्धाचार्यसंताने विवंदनीकपक्षे भ० श्रीदेवगुप्तसूरिभिः प्र० श्रीइडरवास्तव्य. ॥ १११६. सं. १५१६ पोष वदि १२ गुरौ उपकेशज्ञा० बहुरजगोत्रे व्होरा माला भा० मालणदे पु० रांका स्वपुण्यार्थं श्रीसुविधिनाथवि का० प्र० श्रीबृहत्गच्छे श्रीकमलचन्द्रसूरिसंताने श्रीदेवचन्द्रसूरिभिः नगवाडावास्तव्य ।। १११७. सं. १५२५ वर्षे फागण शुदि ७ शनौ प्राग्वाटज्ञा० सं० देवराज भा० वरजू सु० वाच्छा भा० राजू सु० कान्हाकेन भा० For Private And Personal Use Only

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