Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २ ) ९ कया कयाः गच्छो उप्तन्न थया.. १० कइ कई ज्ञातियो हाल जैन धर्मथी रहित थई. ११ जैन वणिकोनी पदवीओ. १२ कया कया ग्रन्थोथी आ संबंधी अजवालुं पडी शके छे? १३. दिगंबर धातुप्रतिमाओ संबंधी विचार. १४ अन्य जैन मुनियो तथा विद्वानोनो आ दिशामां प्रयत्न. १ कड़ कर ज्ञातिओए जैन धातुप्रतिमाओ भरावी. आ पुस्तकमां आवेला 'लेखोमांथी जे जे ज्ञातियोए जैन प्रतिमाओ भरावी जेनुं अत्र लीस्ट कर्यु छे ते जोवाथी जैन वणिक ज्ञातियोनुं ज्ञान मळी शके तेम छे. लाडुआ श्रीमालीजात. असलथी जैनधर्म पाळती आवेली छे. जैनाचार्योए क्षात्र रजपुतोने वणिक बनावी लाडुआ श्रीमाळी तरीके प्रसिद्ध कर्या. लाडुआ श्रीमाळी वणिकोए तैरमा चौदमा सैकाथी जैन ग्रन्थो, मंदिरो प्रतिमाओ भरावी छे एम सिद्ध थाय छे. लाड वाणिआ अने लाडुबा वाणिया एबे जात भिन्न छे. सुरत, कानेर वगेरे गामोमां लाडुआ श्रीमाली वणिकोनी वस्तीछे तेओ जैन धर्म पाळे छे. लाडवणिको पण जैनो छे. पंन्यास मुनिश्री मेघविजयजी पूर्वे ते ज्ञातिना हता. जेओ विद्वान् छे. लाडुआ श्रीमालीओए पूर्व लाडुआमां सुवर्ण महोरोने घाली गरीब जैनोने आपी होय वा तेभने अन्य जैन राजाओए लाडवामां सुवर्ण महोरो घालीने आप होय वा तेओए अन्य जनोने लाडुवानुं ल्हा गुं लागे छे तेथी तेओ लडवा श्रीमाली तरीके प्रसिद्ध थया छे. लाडवा श्री गली ज्ञातिए जैनधर्मनी सेवामां जैनाचार्योनी सारी रीते भक्ति करी छ. आप्युं होय एम चायडज्ञाति - पाटण पासे वायड ( वायट ) गाममां जे वणिको ब्राह्मण, क्षत्रियो रहेता हता ते वायट नामथी प्रसिद्ध थया. For Private And Personal Use Only

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