Book Title: Jain Dhatu Pratima Lekh Part 1 Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निवेदन. आ मंडळ द्वारा श्रीमद् बुद्धिसागरजी ग्रन्थमाळानो ४२ मो "जैन धातुप्रतिमा लेख संग्रह " नामे आ जैन ऐतिहासिक ग्रन्थ जनसमाज समक्ष रजु थाय छे. आ ग्रन्थना कर्ता श्रीमद बुद्धिमागरजी सूरीश्वर छे. श्रीमदे धातुप्रतिमाओ उपर लखायला लेखोथी शुं शुं जाणवा, मळे छे ते संबंधी ६० पृष्ठनी प्रस्तावना लखी सविस्तर जणाव्युं छे. जे उपरथी बारमा सैकाथी सोळमा सत्तरमा सैका सुधीनां जैनोनी जाहोजलाली केटली बधी हती ते प्रतीत् थाय छे. ते समयना जैन श्रेष्ठिओ, जैनाचार्यो, गच्छो, वणिक ज्ञातियो, नगरो अने गामो संबंधी प्रस्तावनामां सारो प्रकाश पाख्यो छे. इतिहासज्ञसाक्षरोमां आ पुस्तक अतिउपयोगी थइ पडशे केमके जैनोना इतिहास पर आ ग्रन्थ अत्यंत अजवाळु पाडे तेम छे. ___आ ग्रन्थमां कोइ कोइ दिगंबर प्रतिमाओना पण लेखो आन्या छे. ते संबंधी ए । अनुमान कराय छे के वचला समयमां मंदिरो अने प्रतिमाओना रक्षण मटे २ शेली उभी थयेली ते वखते जे प्रदेशमा दिगम्बर मंदिरो अने गोनी वस्ती कमी हशे त्यांना श्वेतांबर भाईओए ते मूर्ति ओना रक्षण माटे स्थान आप्यु होवू जोइए; ते साथे ते समये मारा तारापणानी मारामारी प्रमुप्रतिमा अंगे नहि होय. - गुरुश्रीए आ ग्रन्थनी प्रस्तावना लखी जैन कोम उपर महाद्उपकार कर्यो छे. दरेक गच्छना साधु, साध्वीओए पोताना गच्छनी पूर्वे केवी जाहोजलाली हती ते जाणवा सारु आ ग्रन्थ अवश्थ पाचवो जोइए. अने जैन कोम पूर्वनी स्थिति पुनः प्राप्त करे तेवा प्रयासो करवा जोइए; तेवा मार्गाने सहाय आपवी जोइए. आ ग्रन्थना प्रकाशार्थे द्रव्यनी सहाय करनारनां मुबारक नामो पाछला पृष्ठ उपर उपकार पत्रमा जणान्यां छे. तथा प्रकारनी सहाय माटे तेओने धन्यवाद घटे छे. अने मंडळ तेओनो उपकार प्रगट करे छे. धातु For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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