Book Title: Jain Dharmamruta
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 4
________________ विषय-सूची 39 . आ प्राक्कथन ग्रंथ और ग्रंथकार परिचय १. प्रथम अध्याय-धर्मका स्वरूप-आत्मा और परमात्मा १७-४० २. द्वितीय अध्याय-सम्यग्दर्शन धर्मका लक्षण, सम्यग्दर्शन और उसके आठों अंगोंका तथा पच्चीस दोपोंका वर्णन, सम्यक्त्वके भेद, पंच परमेष्ठीका स्वरूप और सम्यक्त्वके माहात्म्यका वर्णन । ४१-९१ ३. तृतीय अध्याय-सम्यग्ज्ञान सम्यग्ज्ञान और उसके.. भेदोंका स्वरूप तथा सम्यग्ज्ञानके माहात्म्यका. वर्णन ९२-१०३ ४. चतुर्थ अध्याय-सम्यक्चारित्र... .. सम्यक्चारित्रकी आवश्यकता, उसके भेद, हिंसाअहिंसाको व्याख्या, देश चारित्रका विस्तृत वर्णन, समाधिमरणका स्वरूप और श्रावककी ग्यारह प्रतिमाओंका वर्णन । .. . १०४-१५२ ५. पञ्चम अध्याय-अनगार धर्म । साधु संज्ञाएँ सकलचारित्र या अनगार धर्मका वर्णन एवं साधुओंकी कुछ विशेष संज्ञाओंका निरूपण । १५३-१७० ६. षष्ठ अध्याय-गुणस्थान १७१-१८७ ७. म अध्याय-जीव तत्त्व १८८-१९५ ८. अष्टम अध्याय-अजीव तत्त्व १९६-२०२ ६. नवम अध्याय-आस्रव तत्त्व २०३-२१९

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