Book Title: Jain Dharma Darshan Part 1
Author(s): Nirmala Jain
Publisher: Adinath Jain Trust

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Page 8
________________ कर्ता ने इस संदर्भ में जो प्रयत्न किया है वह सार्थक है अंत में प्रथम वर्ष के हेतु निर्धारित पाठ्यक्रम में निर्दिष्ट गौतमस्वामी, चंदनबाला, पुणियाश्रावक आदि से संबंधित कथाएं दी गई है। इस प्रकार यह संपूर्ण कृति आयोजकों द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम के लक्ष्य को लेकर लिखी गई है। ___ अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि यह प्रारंभिक प्रयत्न समग्रता को प्राप्त हो। साथ ही लेखिका को इस प्रयत्न के हेतू धन्यवाद भी देता हूँ। लेखन में स्पष्टता के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ डॉ. सागरमल जैन संस्थापक निर्देशक प्राच्य विद्यापीठ शाजापुर, मध्यप्रदेश * प्रस्तुत प्रकाशन के अर्थ सहयोगी * ARIHANT Umed Bhavan, #265, Linghi Chetty Street, Chennai - 1. भवरीबाई जुगराजजी बाफना 65/66, M.S. Koil Street, Royapuram, Chennai - 600 013. and +000oo mmarwari Jain Education International conooxoxoxo0Ooooooooooooooooooooooooooo For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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