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जैनधर्म की उदारता उदाहरण हमारे जैन शास्त्रों में मिलते हैं। यथा- ..
(१) गौतम गणधर मूल में ब्राह्मण.थे। बाद में वे महावीर स्वामी के समवशरण में जाकर जैन हुये। मुनि हुये। जैनों के गुरु हुये। और मोन गये। (महावीर चरित्र) .........
(२) राजा श्रोणिक वौद्ध थे, फिर भी. जैन कन्या चलना से विवाह किया। बाद में जैन होकर वे वीर भगवान के. समवं-" शरण में मुख्य श्रोता हुये। उनके साथ न तो किसी ने खान पान का परहेज रक्खा और न जाति ने चन्द किया। किन्तु प्रतिष्ठा की। पूज्यत्व की दृष्टि से देखा । (श्रेणिक चरित्र). . . . .
(३) समुद्रदत्त अजैन थे। उनके पुत्र ने जन होकर एक जैन कन्या से विवाह किया। (आराधना कथाकोश भागर कथानं०२८).
(४) नागदत्त सेठ पुत्र सहित समाधिगुप्त मुनि के पास जैन बन गया । तन्त्र उसके पुत्र के साथ जिनदत्त (जैन) ने अपनी पुत्री विवाह दी। नागदत्त तथा पुत्र और पुत्रवधू, आदि सब जिनपूजादि करते थे। (आराधना कथा नं०.१०६) इससे सिद्ध है कि.. अजैन के जैन हो जाने पर उससे रोटी बेटी व्यवहार हो सकता है।
(५) जव भारत पर सिकन्दर बादशाह ने चढ़ाई की उस समय एक जैन मुनि उनके साथ यूनान गये । वहाँ उनने नये . जैनी वनाये.और उन नव दीक्षित जैनों के हाथ का आहार ग्रहण किया। (जैन सिद्धान्त भास्कर २-३ पृ०६) . ..
(६) अफरीका के अवीसीनिया में दि० जैन मुनि पहुंचे थे। वहां भी उनने विदेशियों के यहां आहार लिया था। (भगवान महावीर और मवुद्ध पृ०६६)... .
(७) अफ़गान और अरब आदि देशों में जैन प्रचारक पहुंचे . थे और वहां के निवासियों को (जिन्हें म्लेच्छ समझा जाता है).
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