Book Title: Jain Dharm ki Udarta
Author(s): Parmeshthidas Jain
Publisher: Johrimal Jain Saraf

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Page 101
________________ श्वेताम्बर जन शास्त्रों में उदारता के प्रमाण ६१ श्वेताम्बर जैन शास्त्रों में उदारता के प्रमाण । श्वेताम्बर जैन शास्त्रों में जैन धर्म की उदारता के बहुत से प्रबल प्रमाण मिलते हैं। उनसे ज्ञात होता है कि जनधर्म वास्तव में मानव मात्रको धर्मधारणा करने की आज्ञा देता है। नीच, पापी और अत्याचारियों की शुद्धिका भी उपाय बतलाता है और सबको शरण देता है । श्वे० शास्त्रों के कुछ उदाहरण नीचे दिये जाते हैं: (१) मेहतार्य मुनि चाण्डाल थे। बाद में वे दीक्षा लेकर मोक्ष गये। (२) हरिवल जन्म से मच्छीमार था। अन्त में वह मुनि दीक्षा लेकर मोक्ष गये। (३) अर्जुन माली ने ६ माह तक १ स्त्री और ६ पुरुषों की हत्या की थी। अन्त में भगवान महावीर स्वामी के समवशरण में उस हत्यारे को शरण मिली । वहां उसने मुनि दीक्षा ली और मोन गया । (४) आदिमखां मुसलमान जैन था । उसके बनाये हुये भजन आज भी गाये जाते हैं। () दुर्गंधा वेश्या पुत्री थी। वही श्रेणिक राजा की पत्नी हुई थी (त्रिपष्टि०). (६) ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती. का जीव पूर्व भव में चाण्डाल था उसे एक मुनि ने उपदेश देकर मुनि दीक्षा दी थी। वह मुनि होकर द्वादशांग का ज्ञाता हुआ। (त्रिषष्ठि०) (७) कयवना (कृतपुण्य) सेठ ने वेश्यापुत्री से विवाह किया था। फिर भी उनके धर्मसाधन में कोई वाधा नहीं आई। (E) चिलाती पुत्र ने एक कन्या का मस्तक काट डाला था।

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